मिथुन चक्रवर्ती को नहीं हुआ कोरोना, बेटे मिमोह ने कहा- डैडी एकदम ठीक हैं

मिथुन चक्रवर्ती के कोविड पॉजिटिव होने की खबरों का उनके बेटे मिमोह ने खंडन किया है। उन्होंने कहा, “डैडी एकदम ठीक हैं। वे एक शो पर काम कर रहे हैं। साथ ही पश्चिम बंगाल की जनता के लिए भी काम कर रहे हैं। भगवान की कृपा और अपने फैन्स के प्यार और दुआओं की बदौलत वे एकदम ठीक हैं। वे मुझे हर दिन कड़ी मेहनत करने और पॉजिटिव रहने के लिए प्रेरित करते हैं।” दरअसल एक एंटरटेनमेंट वेबसाइट ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि मिथुन कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और होम क्वारैंटाइन में हैं। 70 साल के मिथुन ने अपने पूरे करियर में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।

दो दिन पहले कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप लगा
दो दिन पहले ही मिथुन चक्रवर्ती पर कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप लगा था। तृणमूल कांग्रेस की नेता सौगता रॉय ने दावा किया था कि बीजेपी नेता दिलीप घोष और मिथुन चक्रवर्ती कोविड नियमों को दरकिनार कर 500 से ज्यादा लोगों को इकट्ठा कर मीटिंग्स कर रहे हैं। इस मामले में उन्होंने चुनाव आयोग में भी शिकायत की थी और उचित कार्रवाई की मांग की थी।

दो महीने पहले भाजपा में आए मिथुन
मिथुन चक्रवर्ती ने दो महीने पहले भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली से ठीक पहले बीजेपी में शामिल होने के बाद मिथुन ने कहा था, “मैं​​​​ जोलधरा या बेलेबोरा सांप नहीं हूं, मैं कोबरा हूं। एक दंश में ही काम तमाम कर दूंगा।” मंच से मिथुन ने अपनी फिल्‍मों के कई प्रसिद्ध डायलॉग्‍स भी सुनाए थे, जिनमें उनका मशहूर डायलॉग ‘मारूंगा यहां लाश, गिरेगी श्‍मशान में’ भी शामिल था।

कभी नक्सलवाद से जुड़ चुका है नाम
केमिस्ट्री में ग्रेजुएट मिथुन फिल्मों में आने से पहले नक्सली विचारधारा के थे। परिवार के दबाव में उन्होंने नक्सलवाद से दूरी बनाई और बॉलीवुड का रुख किया। फिल्म ‘मृगया’ (1976) से उन्होंने अपना फिल्मी सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने ‘मेरा रक्षक’ (1978), ‘सुरक्षा’ (1979), ‘तराना’ (1979), ‘हम पांच’ (1980), ‘डिस्को डांसर’ (1982), ‘प्यार झुकता नहीं’ (1985), ‘गुलामी’ (1985), ‘अग्निपथ’ (1990), ‘वीर’ (2010), ‘गोलमाल -3’ (2010), ‘किक’ (2014) सहित कई फिल्मों में काम किया है। उन्होंने हिंदी के अलावा बंगाली, उड़िया, भोजपुरी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और पंजाबी भाषा की फिल्में भी की हैं।

तीन बार मिल चुका नेशनल अवॉर्ड
मिथुन चक्रवर्ती को दो बार बेस्ट एक्टर और एक बार बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है। उन्हें बेस्ट एक्टर का पहला नेशनल अवॉर्ड डेब्यू फिल्म ‘मृगया’ (1976) के लिए मिला था और दूसरी बार ‘तहादर कथा’ (1996) के लिए वे बेस्ट एक्टर चुने गए। जबकि ‘स्वामी विवेकानंद’ (1998) के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड उन्होंने अपने नाम किया था। 

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