राजस्थान में अशोक गहलोत का दांव : क्या इस तरह लगाएंगे भाजपा के मिशन 25 में सेंध

जयपुर । राजस्थान में इस बार कांग्रेस ने अभी तक घोषित उम्मीदवारों में जालौर-सिरोही को छोड़कर नए लोगों को टिकट दिया है। केवल वैभव गहलोत को रिपीट किया है। सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, अलवर, नागौर, सीकर, टोंक-सवाई माधोपुर और उदयपुर सीट पर इंडिया गठबंधन बीजेपी पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहे है। जैसलमेर-बाड़मेर से मोदी के मंत्री कैलाश चौधरी की राह भी आसान नहीं है। इन सीटों पर बीजेपी सांसदों से लोग नाराज बताए जा रहे है। हालांकि, बीजेपी की दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद ही स्थितियां साफ हो पाएंगी। बीजेपी ने राजस्थान के लिए 15 उम्मीदवारों की घोषणा की है। जबकि 10 सीटों पर उम्मीदवार घोषित करना है। माना जा रहा है कि बचे हुए उम्मीदवारों की आज सूची जारी हो सकती है।


राज्य के पूर्व सीएम अशोक गहलोत की चतुराई से इस बार बीजेपी के मिशन 25 में सेंध लग सकती है। दरअसल, कांग्रेस ने इस बार अपने प्रभाव वाली नागौर और सीकर लोकसभा सीट इंडिया एलायंस के लिए छोड़ दी है। हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के लिए नागौर से अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। बता दें सीकर और नागौर दोनों ही कांग्रेस के गढ़ है। जाट बाहुल्य सीट पर कांग्रेस ने इस बार बीजेपी को घेर दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि इसका फायदा कांग्रेस को जयपुर ग्रामीण, चूरू, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ और जैसलमेर-बाड़मेर में मिल सकता है। क्योंकि इन जिलों में हनुमान बेनीवाल की पार्टी का प्रभाव माना जाता है।


जानकारों का कहना है कि आरएलपी और वामदलों के 50 हजार से लेकर एक लाख वोट भी कांग्रेस प्रत्याशियों को मिल जाते हैं तो बीजेपी के मिशन 25 में सेंध लगना तय माना जा रहा है। चर्चा यह भी है कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट भारतीय आदिवासी पार्टी यानी बाप के लिए छोड़ सकती है। यहां से हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए महेंद्र जीत सिंह मालवीय को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है।


सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार राजस्थान में बीजेपी की हैट्रिक लगना मुश्किल है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हनुमान बेनीवाल से गठबंधन करने में अशोक गहलोत की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। बता दें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश चौधरी आरएलपी को गहलोल की प्रायोजित पार्टी बताते रहे है। विधानसभा चुनाव के दौरान भी हरीश चौधरी ने अपने आरोप दोहराए थे। सियासी जानकारों का कहना है कि हनुमान बेनीवाल से गठबंधन करके कांग्रेस ने बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। जाट बाहुल्य इलाकों में बेनीवाल का खासा असर माना जाता है। गठबंधन करने से मतों बंटवारों रूकेगा और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों का फायदा मिल सकता है। बता दें 2019 के लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल खुद नागौर से सांसद बने थे। हालांकि, उस दौरान बेनीवाल का बीजेपी से गठबंधन था। लेकिन किसान आंदोलन के चलते बेनीवाल बीजेपी से अलग हो गए थे।

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