सांवला है अगर आपका भी रंग, तो जरूर पढ़ें ये खास खबर, दिल खुश हो जाएगा

आज के समय में हर कोई गोरा दिखना चाहता हैं. लोगो के मन में ये वहम होता हैं कि सिर्फ गौरे लोग ही खूबसूरती के मामले में आगे होते हैं. इस वहम के चलते लोग गौरा बनने के लिए इस हद तक पागल हो जाते हैं कि हजारो रूपए के ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी खरीद डालते हैं. लेकिन कई लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि बाजार में मिलने वाली फेयरनेस क्रीम में कई तरह के खतरनाक केमिकल्स मौजूद रहते हैं जो आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

नहीं होता हैं स्किन कैंसर का खतरा

यदि आपका रंग सांवला हैं तो आप ख़ुशी मना सकते हैं. क्योंकि हाल ही में स्किन विशेषज्ञों ने अपनी रिसर्च में पाया हैं कि जिन लोगो की स्किन सांवली होती हैं उनके स्किन केंसर होने का खतरा ना के बराबर रहता हैं. वहीँ गौरी स्किन वाले लोगो में स्किन कैंसर होने के चांस अधिक रहते हैं. यदि आप आकड़ों पर भी नजर डालेंगे तो पाएंगे कि विदेशी गौरे लोगो में स्किन कैंसर की समस्यां हम भारतीयों के मुकाबले कही ज्यादा होती हैं.

फेयरनेस क्रीम के नाम पर खिलवाड़ कर रहीं कम्पनियाँ

हाल ही में इंदौर में पिगमेंट्रीकॉन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कई स्किन विशेषज्ञ आए जिन्होंने स्किन केयर को लेकर कई सारी महत्त्वपूर्ण जानकारी लोगो के साथ शेयर की. पिगमेंट्री डिसआर्डर सोसायटी ऑफ़ इंडिया की अध्यक्ष डॉ. रश्मि सरकार का कहना हैं कि “बाजार में बिकने वाली Steroids क्रीम का उपयोग करने पर आपकी स्किन को भयानक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं.” रश्मि आगे कहती हैं कि “इस तरह के खतरनाक क्रीम उत्पादों के खिलाफ हमारी टीम शासन लेवल पर बातचीत कर रही हैं.”

भारतीय स्किन होती हैं ख़ास

इस कार्यक्रम में स्किन विशेषज्ञों ने एक और दिलचस्प बात बताई. उनका कहना हैं कि भारतीय लोगो की स्किन अन्य विदेशी लोगो की तुलना में काफी ख़ास होती हैं. हमारी स्किन के अधिक समय तक धुप में रहने के बाद भी इसमें झुर्रियां नहीं पड़ती हैं. वहीँ विदेशी लोगो की स्किन थोड़ी देर तक धुप में रहने के बाद झुलस जाती हैं और उनमे जल्दी झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं.

कार्यक्रम में डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि लोगो को सफ़ेद दाग होने पर डरना नहीं चाहिए. इसका इलाज संभव हैं. इस रोग को जड़ से ख़त्म करने के लिए सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता हैं. इस तकनीक में रोगी के शरीर के एक हिस्से से स्किन को निकाल कर दूसरी जगह फिट कर दिया जाता हैं. ऐसा करने से शरीर नई स्किन को स्वीकार कर लेता हैं और सफ़ेद दाग नहीं रहता हैं.

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