साइबर ठगों का शिकार बने ग्राफिक डिजाइनर, खाते से उड़ा दिए दस लाख

मूलरूप से कोलकाता के रहने वाले ग्राफिक डिजाइनर से साइबर ठगों ने दस लाख रुपये की ठगी कर ली। वह यहां सहस्रधारा स्थित आइटी पार्क की एक कंपनी में नौकरी करते हैं।

जानकारी के अनुसार एमसी दास मूलरूप से कोलकाता के रहने वाले हैं। वह यहां आइटी पार्क स्थित नॉलेज पोडियम सिस्टम प्राइवेट कंपनी में एक्सपर्ट ग्राफिक डिजाइनर के पद पर कार्यरत हैं। उनका आरोप है कि बीते छह नवंबर को जॉब रेस्क्यू डॉट कॉम से स्वाति नाम की लड़की का उनके पास फोन आया। उसने खुद को पोर्टल का कर्मचारी बताया और कहा कि दस रुपये ऑनलाइन जमा कर उनके पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं।

दास ने नेट बैंकिंग से दस रुपये का भुगतान कर दिया। इसके बाद उनके कोलकाता के एक बैंक के अकाउंट में की गई सात और तीन लाख की दो एफडी को तोड़ दिया गया। दोनों एफडी दिसंबर और फरवरी में मैच्योर्ड होने वाली थी। एफडी तोड़े जाने का मैसेज शनिवार को मिलने के बाद ठगी के बारे में पता चला।

उन्होंने जानकारी जुटाई तो पता चला कि एफडी की रकम को कई बैंकों में ट्रांसफर कर निकाल लिया गया है। दास ने साइबर थाने में कंपनी और बैंक के खिलाफ शिकायत की है। उनका कहना है कि बिना उनकी अनुमति के एफडी को कैसे तोड़ दिया गया। वहीं साइबर थाना पुलिस का कहना है कि तहरीर मिली है और तथ्यों के आधार पर मामले की जांच शुरू करने के साथ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।

फ्लैट बेचने के नाम पर दंपती ने चालीस लाख ठगे

फ्लैट बेचने के नाम पर एक दंपती ने महिला से 40 लाख रुपये की ठगी कर ली। मामले में एसआइटी (भूमि) की जांच के बाद आरोपितों के खिलाफ रायपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

पुलिस के अनुसार राजेश्वरी मैठाणी पत्नी धर्मपाल मैठाणी निवासी हिमाद्री एनक्लेव जोगीवाला का आरोप है कि रणदीप वर्मा व उसका पति नीरज वर्मा उसके मकान में किराए पर रहते थे।

कुछ महीने पहले रणदीप व उसके पति ने बताया कि उन्हें पैसों की सख्त जरूरत है, लिहाजा वह आमवाला तरला में स्थित अपना फ्लैट बेचना चाहते हैं। राजेश्वरी ने बताया कि दोनों की बातों में गई ओर उससे मकान का सौदा तय कर लिया।

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