अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मंगलवार को बिहार विधानसभा की कार्यवाही महिलाओं के नाम रही. सदन की कार्यवाही शुरू होने से लेकर समापन तक महिलाओं को वरीयता दी गई है. सदन की दूसरी पाली में बिहार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान हम की विधायक ज्योति देवी को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया. ज्योति देवी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की समधन हैं. बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद अध्यक्ष का चुनाव होने तक जीतन राम मांझी भी प्रोटेम स्पीकर रह चुके हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस होने के कारण चर्चा में विपक्ष और सत्ता पक्ष की तरफ से महिलाएं ही भाग ले रही हैं.
मांझी की समधन बनीं स्पीकर
दरअसल, विधानसभा संचालन के पहले दिन ही कार्य मंत्रणा की बैठक में तय हो जाता है कि सदन की कार्यवाही चलाने के लिए किस-किस दल से कौन-कौन लोग पीठासीन पदाधिकारी के तौर पर आसन चलाएंगे. इसमें ज्योति देवी का नाम था. अध्यक्ष ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए ज्योति देवी को आसन पर बैठाया. इससे पहले सदन की सहमति ली गई थी. ज्योति देवी बाराचट्टी विधानसभा से विधायक हैं. ज्योति देवी वरिष्ठ सदस्य हैं इसलिए उनको आसन में बैठाया गया.
ज्योति देवी ने सदन में कहा
सदन की कार्यवाही के दौरान ज्योति देवी बतौर विधानसभा अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाती नजर आईं. महिला विधायक द्वारा जब अपनी बात रखी जा रही थी, उसी दौरान विपक्ष ने बोलना शुरू कर दिया. इस पर ज्योति देवी ने कहा कि कृप्या बीच में मत बोलिए. कम से कम आज तो महिलाओं को छूट दे दीजिए. रोज तो आप लोग बोलते ही हैं. आज कम से कम महिलाओं को पूरा समय बोलने दीजिए. बीच में टोका टोकी कीजिएगा तो यही समझा जाएगा कि यहां भी शोषण है. इसलिए आपलोग कोई टोका टोकी नहीं करेंगे.
शकील अहमद के बयान से हंगामा
हालांकि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक शकील अहमद के बयान से हंगामा भी हुआ. शकील अहमद ने सदन में कहा किढोल पशु शुद्र नारी ये हैं ताड़न के अधिकारी.. इस बयान के बाद उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने इसका विरोध किया. महिला दिवस के मौके पर इस तरह के बयान के बाद सभी दल की महिला सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सभी महिलाओं को अपने स्थान पर बैठने का निर्देश दिया. इसके बाद उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की. यह महाग्रंथ है. पूरे वैश्विक स्तर के लोगों की इसमें आस्था है. सदन में उसके एक चौपाई को गलत ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है. किसी के धार्मिक भावना को आहत करना दुर्भाग्यपूर्ण है. यह कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा.