तारीख का खुलासा किये बिना बोले CM योगी, राम मन्दिर हम ही बनाएंगे, दूसरा नहीं

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लखनऊ, । राजधानी में युवा कुम्भ का विधिवत उद्घाटन आज राज्यपाल राम नाईक तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। बंगला बाजार स्थित ’स्मृति उपवन’ में आयोजित इस युवा कुम्भ में विभिन्न क्षेत्रों की कई चर्चित हस्तियां शामिल हुई हैं। वहीं देशभर से हजारों युवा पहुंचे हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने अयोध्या में राम मन्दिर के मुद्दे पर कहा कि नारों में उलझने की आवश्यकता नहीं। कुछ लोग गोत्र और जनेऊ दिखा रहे हैं। रामजन्मभूमि के बारे में बोल रहे हैं, लेकिन ये कार्य कोई दूसरा नहीं करेगा जब भी करेंगे, हम ही करेंगे।

उन्होंने कहा कि राम नगरी अयोध्या में समरसता कुम्भ का आयोजन सम्पन्न हुआ और आज प्रदेश की राजधानी में चौथा वैचारिक कुम्भ ‘युवा कुम्भ’ के रूप में आयोजित हो रहा है। कुछ लोगों ने इसके बारे में दुष्प्रचार करने का प्रयास किया था। इसका पहले भी दुष्प्रचार हुआ है। उन्होंने कहा कि ये भी कहने का प्रयास हुआ कि कुम्भ का आयोजन दलित विरोधी है, जबकि 12 से 15 करोड़ लोग कुम्भ में आते हैं। इसमें किसी भी प्रकार का भेद नहीं होता है। कुम्भ के आयोजन में पूरा देश बिना किसी आमंत्रण के प्रयाग की धरती पर आता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी के बाद यह पहला कुम्भ होगा जिसमें गंगा का शुद्ध जल आने वाले सभी श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा।

उन्होंने कहा कि यूपी देश का सबसे युवा प्रदेश है। यहां के युवाओं के बारे में केन्द्र सरकार ने चार साल में और प्रदेश सरकार ने डेढ़ साल में जो कार्यक्रम चलाए, उससे उनको आगे बढ़ने का मंच मिला है। डेढ़ साल में एक लाख से अधिक युवाओं को नौकरियां दिलाई गई हैं। इसी तरह 50 हजार युवाओं की पुलिस में भर्ती की कार्यवाही 2019 के प्रथम माह में ही पूरा कर लेंगे। एक जिला एक उत्पाद योजना में आगामी पांच साल में 20 लाख युवाओं को स्वावलम्बन के लिए प्रेरित करने का कार्यक्रम चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अतीत से भटका व्यक्ति वर्तमान का त्रिशंकु होता है। वो भटकता रहता है। हमारा युवा त्रिशंकु नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि प्रयागराज की धरती पर वैचारिक कुम्भ का घोष एक साथ दोहराया जाएगा। बहुत सारी चीजें बहुत सारी बातें होंगी। कुम्भ का जो शाब्दिक अर्थ है, हमें पहली बार प्राप्त होगा। ये पहला कुम्भ है जब यूनेस्को ने इसे सबसे बड़े आध्यत्मिक सांस्कृतिक आयोजन के रूप में इसे मान्यता दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 दिसम्बर को 70 से अधिक देशों से राजदूत और उच्चायुक्त इसे देख कर गए हैं। प्रयागराज कुम्भ में पहली बार अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन श्रद्धालुओं को होंगे। अकबर द्वारा किला बनाने के बाद ये दर्शन बन्द हो गए थे। हम इसे खोलने जा रहे हैं। प्रत्येक दिन इसे आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा।

उन्होंने कहा कि ऐसा कौन भारतीय होगा, जो स्नान के समय सात पवित्र नदियों का स्मरण न करता हो। इनमें से तीन पवित्र नदियों का संगम प्रयागराज है। हमें इसकी तैयारी के लिए एक वर्ष का समय मिला था। दुनिया में कोई कहता है यह 100 वर्षों का है, कोई कहता है 1400 वर्षों का तो कोई 2 हजार वर्षों का बताता है। प्रयागराज का हजारों हजार वर्षों का इतिहास है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारद्वाज ऋषि ने विमानन शास्त्र के बारे में बताया। पुष्पक विमान मिथक नहीं वास्तविकता थी।

थल ही नहीं जल से भी व्यक्ति प्रयागराज कुम्भ में आ सकेगा। हम उड़ान योजना की भी सुविधा देने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई यात्रा कर सके। इसी पर हमने काम किया है। वहीं सिंगल लेन से डबल, डबल से फोरलेन और फोरलेन से सिक्स और ऐटलेन से इसे जोड़ा रहा है। मोटरबोट से भी लोग आ सकेंगे उसकी सुविधा भी देने जा रहे हैं।

प्रयागराज में कुम्भ के दौरान थीम पेंटिंग देखने को मिलेगी। स्वच्छता का पूरा ध्यान रखा जाएगा। गंदगी तो दूर एक मक्खी भी नजर नहीं आएगी। वहां सभी टॉयलेट इको फ्रेंडली होंगे। हमारी सरकार ने कुम्भ का क्षेत्र 1700 हेक्टेयर से बढ़ाकर 3200 हेक्टेयर क्षेत्रफल किया है।

केरल के एक पूर्व साम्यवादी मुख्यमंत्री ने कहा था कि साम्यवादियों ने अलग—अलग राष्ट्रीयता के नारे दिए थे। 1947 से पहले उन्होंने भारत का विभाजन राष्ट्रीयताओं के आधार पर देना चाहिए, कहा था। आजादी के बाद वह मुख्यमंत्री बने और एक आलेख में कहा कि हमारी बात मिथ्या थी मिथक पर आधारित थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां जाति, क्षेत्र अलग-अलग हो सकते हैं। अगर भारत अलग-अलग राष्ट्रीयताओं का देश होता तो केरल से निकला एक सन्यासी चार पीठों की स्थापना न करता। जिन्हें हम धर्मस्थल कहते हैं, ये एकात्मता के स्थल हैं।आदि शंकराचार्य द्वारा चार पीठे हमें ये बताती हैं।

कुम्भ में प्रेरणादायी संगम होगा। ऊर्जा सकारात्मक जाए तो ऊपर औश्र नकारात्मक जाए तो पतन के गर्त में धकेलने में देर नहीं लगती। कौन वो लोग हैं जो राष्ट्रमाता के प्रति षड्यंत्र कर रहे हैं। हमें समझना होगा जो विखंडन का प्रयास कर रहे हैं, उनकी क्या मंशा है। ये षड्यंत्र हर स्तर पर रचे जाएंगे। इसके प्रति सावधानी रखने की आवश्यकता है।

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