भास्कर समाचार सेवा
इटावा। जीवन के लिए बोझ का रूप लेने वाली फाइलेरिया जैसी बीमारी के उन्मूलन में मीडिया की अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। सभी से यह अपेक्षा है कि संचार माध्यमों के जरिये जन-जन तक फाइलेरिया उन्मूलन का संदेश पहुंचाएं। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ भगवन दास भिरोरिया ने कहीं। वह सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के संबंध में आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को शुक्रवार को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने स्वयं दवा का सेवन किया और सभी से अपील किया कि फाइलेरिया से बचने की दवा जरूर खाएं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि 12 मई से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान की शुरुआत हो चुकी है जिसमें अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिला रहीं हैं । यह दवाएं निःशुल्क जनसमुदाय को खिलाई जा रही और इसका सेवन दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को छोड़ कर सभी को करना है। दवा खाली पेट नहीं खानी है और इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है। दवा खाने से जब शरीर में परजीवी मरते हैं तो कई बार सिरदर्द, बुखार, उलटी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। इनसे घबराना नहीं है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाते हैं। अगर किसी को ज्यादा दिक्कत होती है तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ महेश चंद्रा ने ने कहा कि दवा खिलाने के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम घर जाकर दवा खिला रही है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया जिले में हाथीपांव के 148 मरीजों को मार्बिडिटी मैनेजमेंट किट बांटा जाना है जिसमें से 110 लोगों को किट बांटे जा चुके हैं। किट में बाल्टी, मग, तौलिया, साबुन और क्रीम शामिल हैं। किट देने के साथ-साथ लाभार्थी को यह बताया जा रहा है कि हाथीपांव के कारण हुए घाव या सूजन का रखरखाव करना बहुत आवश्यक है।
पाथ संस्था के डॉ. शाश्वत ने पीपीटी के जरिये बताया कि जिले में की 15,65,714 के जनसंख्या को अभियान के दौरान दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए 1471 टीम बनाई गई हैं जिनके कार्यों का पर्यवेक्षण 245 सुपरवाइजर करेंगे। यह दवा फाइलेरिया के परजीवियों को मार देती है और लोगों को हाथीपांव व हाइड्रोसील जैसी बीमारियों से बचाती है। दो वर्ष से अधिक व पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के लोगों को 100 ग्राम की एक डीईएसी गोली और 400 ग्राम की एक एलबेंडाजोल गोली देनी है। पांच से पंद्रह वर्ष आयु वर्ग के लोगों को डीईसी की 100 ग्राम की दो गोली और एलबेंडाजोल की 400 ग्राम की एक गोली दी जाएगी। इसके अलावा 15 वर्ष से अधिक आयु वग्र के लोगों को डीईसी की 100 ग्राम की तीन गोली और 400 ग्राम एलबेंडाजोल की एक गोली दी जाएगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया बीमारी मच्छर के काटने से होता है।
इसको हाथीपांव भी बोलते हैं। इसमें पैरों और हाथों में सूजन के अलावा अंडकोष में सूजन जैसी दिक्कत होती है। व्यक्ति में संक्रमण के बाद बीमारी होने में 5 से 15 वर्ष लग जाते हैं। पीसीआई संस्था के जिला समन्वयक शिवम् रस्तोगी ने बीमारी की रोकथाम में सामुदायिक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अभियान से कोटेदारों, जनप्रतिनिधियों, शिक्षक, स्वयं सहायता समूह समेत विभिन्न प्रेरक लोगों को पीसीआई की मदद से जोड़ा जा रहा है। इंडिया टीवी न्यूज़ के ज़ोनल हेड अमित मिश्रा ने आश्वस्त किया कि फ़ाइलेरिया से संबंधित मुख्य सन्देश और महत्वपूर्ण जानकारियां पहुंचाने में हम पूरा सहयोग करेंगे। वहीं आज तक न्यूज़ चैनल संवाददाता अमित तिवारी ने सुझाव दिया कि बीमारी को नियंत्रण में लाने से बेहतर होगा की उसकी जड़ पर वार किया जाये। उन्होंने कहा कि मच्छर कैसे समाप्त किया जाए इस पर आक्रामक तरीके से काम करना होगा। सीफ़ार की मण्डल प्रतिनिधि राशि गुप्ता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सीफ़ार के स्वास्थ्य संचार के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर समस्त मीडिया कर्मियों समेत विभाग के लोगों ने भी दवा का सेवन किया ,मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी नीरज दुबे, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ श्रीनिवास, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ अवधेश , जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक, सीफ़ार जिला प्रतिनिधि प्रीति पांडे, रतीश द्विवेदी, अनुपम मिश्रा सहित अन्य स्टाफ मौजूद रहा।