गोंडा, आंख के अंधे नाम नयन सुख की कहावत जिला संयुक्त अस्पताल पर सही दिख रही है जहां पर मोतियाबिंद के आपरेशन के औचार, बेड, लेंस हैं लेकिन आंख सर्जन न होने से यहां पर बीस वार्ड के आंख अस्पताल में ताला लगा हुआ है। इससे बीस हजार आंख के मरीज सर्जन की बांट जोहने को मजबूर हैं। यह हाल षासन से हुए आंख सर्जन के तबादलों से हुई है जिसमें यहां पर तैनात दो सर्जन हटा दिये गये, इनके स्थान पर किसी की तैेनाती पांच माह बाद नहीं हो पायी।
दो हजार मोतियाबिंद के मरीजों को आई सर्जन की दरकार
ईष्वर षरण सिह जिला अस्पताल में वर्श 1998 बीस बेड का नेत्रवार्ड की स्थापना तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रमापति षास्त्री ने की थी, इसके बाद यहां पर चार सर्जन की तैनाती हुई। यहां पर तैेनात एक सर्जन डा सेठी का निधन हो गया। दो सर्जन का जुलाई में तबादला हो गया।
इसके उपमुख्यमंत्री बृजेष पाठक कोई आई सर्जन नहीं दे पाये। हालत है कि आंख के अंधे नाम नयन सुख की कहावत स्वास्थ्य विभाग चरितार्थ हो रही है। प्रमुख अधीक्षक डा प्रभू दयाल गुप्ता ने बताया कि वह नये हैं लेकिन सर्जन न होने से समस्या है।
सीएमओं ने कहा…
सीएमओ रष्मि वर्मा ने बताया कि सर्जन नहीं लेकिन एनजीओ स्तर से मोतियाबिंद के कैंप लगाकर आपरेषन किये जा रहे है।