बीजिंग (ईएमएस)। कोरोना वायरस को वुहान लैब की देन बताने के बाद वैज्ञानिकों का नया शोध सामने आया है। वैज्ञानिकों ने नए बैट वायरस की खोज कर ली है। दरअसल कोविड-19 जैसे ही खास म्यूटेशन वाले एक नए जंगली कोरोना वायरस की खोज की गई है, जिसे कुछ वैज्ञानिकों द्वारा इस बात का सबूत माना जा रहा है कि सार्स-सीओवी-2 किसी लैब में नहीं बनाया गया था। चीन में शोधकर्ताओं ने एक और चमगादड़ कोरोना वायरस खोजा है जिसमें फ्यूरिन क्लीवेज साइट होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वह हिस्सा है जिसने लोगों को संक्रमित करने में कोविड-19 को संक्रामक बना दिया है। गौरतलब है कि कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में बहस के दौरान फ्यूरिन एक अहम मुद्दा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि इसे केवल प्रयोगशाला में प्रयोगों के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। तब से, अध्ययनों से पता चला है कि जंगली कोरोना वायरस स्वाभाविक रूप से संरचना प्राप्त कर सकते हैं।
नए खोजे गए वायरस में एक और संयोगात्मक विचित्रता है। यह वायरस 98 प्रतिशत तक पैंगोलिन में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के समान है, जिस जानवर पर लंबे समय से मनुष्यों में कोविड-19 फैलाने का संदेह था। तथाकथित ‘लैब लीक थ्योरी’ के आलोचकों ने इस खोज को इस अवधारणा के प्रमाण के रूप में रखा है कि कोविड-19 जैसे वायरस जंगल में पनपते हैं और प्रजातियों के बीच से गुजरते हैं। इस पर शीर्ष डेनिश संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. क्रिस्टियन एंडरसन ने एक्स पर नया अध्ययन साझा किया, जहां उन्होंने लिखा कि समय के साथ इस मामले में विज्ञान और मजबूत होता जाएगा।’ हालांकि यह स्वीकार करने के बावजूद कि लैब लीक की ‘अत्यधिक संभावना’ थी, डॉ. एंडरसन ने सार्वजनिक रूप से इस सिद्धांत की निंदा की है।
बता दें कि उन्हें जुलाई में कांग्रेस द्वारा अमेरिकी संसद के सामने बुलाया गया था, उन पर जनता को गुमराह करने और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में खराब प्रथाओं के ज्ञान को छिपाने का आरोप लगाया गया था। दरअसल डब्ल्यूआईवी एक बैट कोरोनोवायरस लैब है, जो चीन में पहले कोविड -19 मामलों से कुछ ही मील की दूरी पर स्थित है और माना जा रहा है कि महामारी से पहले के वर्षों में इसी तरह के वायरस के साथ वहां छेड़छाड़ किया जा रहा था। हालांकि इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है, लेकिन जब बात आती है कि कोविड-19 कैसे उत्पन्न हुआ और कैसे फैला, तो दो तरह की धारणाएं हैं।