- एक दूसरे से हार का बदला लेने को तैयार सपा-भाजपा
- लोकसभा की हार का हिसाब बराबर करेगी बीजेपी
- सपा कुंदरकी की शिकस्त का बदला लेने को आतुर
- इस उपचुनाव में दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर
- सीएम समेत आधा दर्जन मंत्रियों पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी
योगेश श्रीवास्तव
मिल्कीपुर उपचुनाव : दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ यूपी की अयोध्या मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है। यहां होने वाले उपचुनाव में सपा और भाजपा दोनों ही अपनी-अपनी हार का बदला लेने की ताक में है। भाजपा जहां लोकसभा चुनाव में यहां मिली हार का बदला लेना चाहती है तो समाजवादी पार्टी विधानसभा उपचुनाव खासकर कुंदरकी की हार का बदला लेने की फिराक में है। कुंदरकी में पैंसठ फीसदी मुस्लिम मतदाता होने के बाद वहां सपा उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाने के नतीजे ने जहां सपा नेतृत्व की नींद उड़ाई वहीं भाजपा के लिए यह ऐतिहासिक जीत थी।
मिल्कीपुर में २०२२ में सपा से अवधेश प्रसाद जीते थे पिछले लोकसभा चुनाव में उनके सांसद बनने के बाद रिक्त हुई इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। नवंबर में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में सात सीटे जीतने के बाद से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी आत्मविश्वास से लबरेज है। वह मिल्कीपुर में कुंदरकी जैसी जीत दुहराने की तैयारी में है। लोकसभा में यह सीट सपा के खाते में जाने के बाद से तिलमलाई भारतीय जनता पार्टी मिल्कीपुर सीट जीतकर अपनी खीझ मिटाना चाहती है। नौ सीटों में सात सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव इस बार सपा के लिए भी खासी महत्वूपर्ण है।
भारतीय जनता पार्टी ने यहां २०१७ और १९९१ में अपनी जीत दर्ज कराई थी। इस बार यदि यहां पर कमल खिलता है तो यह भाजपा की बड़ी उपलब्धि होगी। यहां पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके आधा दर्जन मंत्रियों ने ली है। जबकि सपा कुंदरकी में मिली हार का बदला मिल्कीपुर में लेकर एक बार फिर भाजपा को देश के राजनीतिक क्षितिज पर भाजपा को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती। राममंदिर निर्माण के बाद हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट हारने के बाद भाजपा की स्थिति काफी असहज हुई। इस हार की भरपाई उसने विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव में कर ली। लेकिन अब अयोध्या की ही मिल्कीपुर सीट पर जीत दर्ज कराकर भाजपा सपा से लोकसभा चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर कर लेना चाहती है। यहां होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने पहले से ही कमर कसे हुए है।
हालांकि सपा ने भी इस उपचुनाव के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। भाजपा भले यहां अपना उम्मीदवार न तय कर पाई हो लेकिन सपा ने बहुत पहले ही सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को उम्मीदवार घोषित कर रखा है। मिल्कीपुर में साढ़े तीन लाख मतदाताओं में से 1.2 लाख दलित, करीब 55,000 यादव ओबीसी और 30,000 मुस्लिम हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो दलितों के साथ ही 60,000 ब्राह्मणों, 25,000 क्षत्रियों और अन्य पिछड़े वर्गों का वोट पाने वाले के सिर जीत का सेहरा बंधेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इस उपचुनाव में यह देखना होगा कि सपा का पीडीए फॉर्मूला इस सीट पर उसी तरह काम करेगा जैसा लोकसभा चुनाव में था या फि र भाजपा जातिगत विभाजन को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो पाती है। नवंबर में नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी। नवंबर में जिन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें मुजफ्फ रनगर की सीसामऊ, कटेहरी, कुंदरकी, करहल, खैर, फू लपुर, गाजियाबाद, मंझवा और मीरापुर शामिल थे। फि लहार मिल्कीपुर उपचुनाव को भाजपा के प्रतिष्ठा से जोडक़र देखाा जा रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके सहयोगी मंत्री और संगठन के पदाधिकारी कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से यहां जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
इनपर कमल खिलाने का दारोमदार
मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए जहां स्वयं मुख्यमंत्री कमर कसे हुए है तो उनके साथ उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु खेल मंत्री गिरीशचंद्र यादव खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर का नाम शामिल है। मिल्कीपुर सीट पर ज्यादातर सपा का ही कब्जा रहा है। एक समय तक यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। भाजपा ने यहां १९९१ और २००२ और २०१७ में अपनी जीत दर्ज कराई थी।