आखिर मनीष सिसोदिया को कब तक मिलेगी बेल, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले कोर्ट ने 17 अक्टूबर को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि एजेंसी ने जानकारी दी है कि 338 करोड़ के पैसे के ट्रांसफर का लिंक साबित हो रहा है। घोटाले से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं, इसलिए जमानत याचिका खारिज की जाती है। इसके साथ ही कोर्ट ने जांच एजेंसियों को निर्देश देते हुए कहा कि 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा हो, अगर इस दौरान ट्रायल पूरा नहीं होता है तो सोसोदिया फिर से जमानत के लिए कोर्ट का रुख कर सकते हैं।

जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 241 दिन से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया। AAP नेता सिसोदिया पर दिल्ली शराब नीति में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने सोमवार 30 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए कहा- घोटाले से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं। इनमें 338 करोड़ का लेन-देन हुआ है, जिसमें सिसोदिया की भूमिका संदिग्ध लग रही है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।

कोर्ट ने जांच एजेंसियों को भी निर्देश दिया कि ट्रायल 6 से 8 महीने में पूरा करें। अगर ट्रायल में देर होती है तो सिसोदिया जमानत के लिए 3 महीने के अंदर दोबारा अपील कर सकते हैं।इससे पहले 17 अक्टूबर को कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 30 अक्टूबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सिसोदिया के केस में अब तक क्या हुआ

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नीति लागू की लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया।
मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को CBI ने गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं। ​ED ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद 9 मार्च को CBI की FIR से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 28 फरवरी को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई को CBI केस में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उपमुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री होने के नाते, वह एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

3 जुलाई को, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, यह कहते हुए कि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं।

ED ने मामले में चार चार्जशीट दाखिल कीं

करीब 10 महीने तक जांच-पड़ताल करने के बाद 1 जून 2023 को ED ने अपनी जांच पूरी की। एजेंसी ने इस मामले में चार चार्जशीट दाखिल कीं। ED ने कोर्ट को बताया कि उनके पास सिसोदिया के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। ED के मुताबिक, सिसोदिया ने सबूत छिपाने के लिए 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले, जिनमें से पांच सिम सिसोदिया के नाम पर ही थे।

नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू हुई

दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस नीति से शराब की दुकानें निजी हाथों में चली जाएंगी। सिसोदिया से जब नई नीति लाने का मकसद पूछा गया तो उन्होंने दो तर्क दिए। पहला- माफिया राज खत्म होगा। दूसरा- सरकारी खजाना बढ़ेगा।

17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति 2021-22 लागू कर दी गई। इससे शराब कारोबार से सरकार से बाहर हो गई और ये बिजनेस निजी हाथों में चला गया। कई बड़े डिस्काउंट देने से शराब की जमकर बिक्री हुई। इससे सरकारी खजाना तो बढ़ा, लेकिन इस नई नीति का विरोध होने लगा।

जुलाई 2022 में शराब नीति में घोटाले का आरोप लगा

8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया। उन्होंने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी। इसमें बताया गया कि सिसोदिया ने लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। उधर, LG ने भी कहा है कि उनकी और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही शराब नीति में बदलाव कर दिए।

अगस्त 2022 को CBI और ED ने केस दर्ज किया

एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच की मांग की। 17 अगस्त 2022 को जांच एजेंसी ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, तीन रिटायर्ड सरकारी अफसर, 9 बिजनेसमैन और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया।

अगस्त को सिसोदिया के घर और दफ्तर समेत सात राज्यों के 31 ठिकानों पर छापेमारी की। इस पर सिसोदिया ने दावा किया कि सीबीआई को कुछ नहीं मिला। इधर, 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने CBI से मामले की जानकारी लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।

जुलाई 2022 सरकार ने नई नीति को रद्द किया

विवाद बढ़ता देख 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया। फिर से पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया। 31 जुलाई को सरकार ने कैबिनेट नोट में बताया कि शराब की ज्यादा बिक्री के बाद भी सरकार की कमाई कम हुई, क्योंकि खुदरा और थोक कारोबारी शराब के धंधे से हट रहे थे।

फरवरी 2023 में CBI ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया

सिसोदिया के पास एक्साइज डिपार्टमेंट था, इसलिए उन्हें कथित तौर पर इस घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया गया। कई बार पूछताछ के बाद जांच एजेंसी ने 26 फरवरी को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल वे जेल में हैं। CBI ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि एक्साइज मिनिस्टर होने के नाते उन्होंने मनमाने और एकतरफा फैसले लिए, जिससे खजाने को भारी नुकसान पहुंचा और शराब कारोबारियों को फायदा हुआ।

शराब घोटाला मामले में संजय सिंह भी गिरफ्तार

आबकारी नीति केस में ही ED ने 4 अक्टूबर को AAP सांसद संजय सिंह को भी अरेस्ट कर लिया। उनके दिल्ली वाले घर पर सुबह 7 बजे ED की टीम पहुंची। 10 घंटे तक चली छापेमारी के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अगले दिन 5 अक्टूबर को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया, जहां से कोर्ट ने उन्हें 10 अक्टूबर तक की रिमांड पर भेज दिया।

ED का दावा-शराब घोटाले में 170 मोबाइल तोड़े गए:नीति आने से पहले कॉपी शराब कारोबारियों से शेयर की

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के डिप्टी CM को सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर कई फोन को नष्ट करने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने दिसंबर 2022 में दिल्ली की कोर्ट में दावा किया था कि सिसोदिया और अन्य अरोपियों ने 170 बार मोबाइल फोन बदले और फिर इन्हें तोड़ दिया। इससे 1.38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

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मनीष सिसोदिया के चचेरे भाई नरेंद्र भले ये बात गुस्से में कहते हैं, लेकिन अपने भाई की ईमानदारी की तारीफ भी करते हैं। कहते हैं, ‘ठीक है उनके सिद्धांत हैं, सिद्धांतवादी व्यक्ति ऐसा ही होता है।’

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