भीमा कोरेगांव हिंसाः सुधा भारद्वाज 31 अगस्त तक घर में रहेंगी नजरबंद
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में हिरासत में ली गयीं मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज 30-31 अगस्त तक अपने ही घर में नजरबंद रहेंगी. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद अदालत के न्यायिक दंडाधिकारी अशोक शर्मा ने भारद्वाज को 30-31 अगस्त तक सूरजकुंड पुलिस की देखरेख में उनके ही घर में रहने के आदेश दिये.
भीमा कोरेगांव हिंसाः गौतम नवलखा गिरफ्तारी की सुनवाई दिल्ली HC में
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में दोपहर 2.15 बजे होगी.
भीमा कोरेगांव हिंसाः गौतम नवलखा को दिल्ली से बाहर नहीं ले जाने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि कथित गैरकानूनी गतिविधियों के लिये महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से तब तक बाहर नहीं ले जाया जाए, जब तक कि वह इस मामले पर सुनवाई नहीं कर लेती.
कोर्ट का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए कुछ आरोप साफ नहीं हैं. जस्टिस एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि दस्तावेजों से यह पता नहीं चलता है कि नवलखा के खिलाफ क्या मामला है.
Govt must show that it has evidence to back up its actions against alleged Maoist activists. If evidence is not convincing then this kind of action goes directly against supremacy of rule under constitutional democracy which allows right to free speech & dissent: Pawan Verma, JDU pic.twitter.com/4VCUf40Bz3
— ANI (@ANI) August 29, 2018
जून महीने में भी हुई थी 5 लोगों की गिरफ्तारी
माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में जून में पांच लोगों की गिरफ्तारी हुयी थी. जून में छापा मारे जाने के बाद दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले को मुंबई में उनके घर से गिरफ्तार किया गया, जबकि वकील सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता महेश राऊत और शोमा सेन को नागपुर से और रोना विल्सन को दिल्ली में मुनिरका स्थित उनके फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था.
#BhimaKoregaon Eminent persons Romila Thapar, Prabhat Patnaik, Satish Deshpande, Maya Darnall and one other person move the Supreme Court against the arrest of activists Sudha Bhardwaj and activist Gautam Navlakha. SC to hear the matter at 3:45 pm today.
— ANI (@ANI) August 29, 2018
भीमा कोरेगांव हिंसाः क्या है पूरा मामला?
साल 1818 में हुई भीमा- कोरेगांव लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एल्गार परिषद कार्यक्रम के सिलसिले में जून में गिरफ्तार पांच लोगों में एक के घर पुलिस की तलाशी के दौरान कथित तौर पर जब्त एक पत्र में राव के नाम का जिक्र था.
विश्रामबाग थाना में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक, कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणी करने के बाद जिले के भीमा- कोरेगांव गांव में हिंसा हुई थी.
Delhi High Court to hear Gautam Navlakha matter at 2:15pm today as police seeks more time for translation of documents from Marathi to English. Court asks the counsel for police to file the documents till 12 noon #BhimaKoregaon
— ANI (@ANI) August 29, 2018
भीमा कोरेगांव हिंसाः सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए रिक्वेस्ट
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में इन कार्यकर्ताओं की रिहाई का अनुरोध किया गया है. इसके अलावा, इन गिरफ्तारियों के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का भी अनुरोध याचिका में किया गया है.
भीमा कोरेगांव हिंसाः संविधान पीठ के सामने रखा गया मामला
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सीनियर वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस याचिका का उल्लेख कर इस पर आज ही सुनवाई करने का अनुरोध किया. कोर्इ इस याचिका पर दोपहर 3.45 बजे सुनवाई के लिये तैयार हो गया.
भीमा कोरेगांव हिंसाः रोमिला थापर और चार अन्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के सिलसिले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संपर्क होने का संदेह है.
भीमा कोरेगांव हिंसाः सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 3.45 पर सुनवाई
पांचों एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी के खिलाफ अर्जी दी है. आज दोपहर 3:45 पर सुनवाई होगी.
भीमा कोरेगांव हिंसाः मंगलवार को हुई थी पांच सोशल एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी
पुणे के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने पांच जाने-माने सोशल एक्टिविस्ट को मंगलवार को गिरफ्तार किया था. इनमें सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वर्नोन गोनसाल्विस, गौतम नवलखा और वरवारा राव शामिल हैं. पुलिस का आरोप है कि इन सामाजिक कार्यकर्ताओं के कारण ही भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने मंगलवार सुबह अलग-अलग शहरों में छापा माकर इन सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. इन लोगों तलाश में जिन लोगों के घरों की तलाशी ली गई, उनमें जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और वकील शामिल हैं.