लखनऊ : सहारनपुर में 2017 में हुई जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी और भीम सेना के मुखिया चंद्रशेखर उर्फ रावण को सरकार ने रिहा कर दिया है। रावण को एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत जेल भेजा गया था। वह लगभग 16 महीने से जेल में बंद था। रावण को गुरुवार रात करीब 2:24 बजे जेल से रिहा किया गया। रावण की रिहाई के दौरान काफी समर्थक जेल के बाहर जमा रहे। जेल के चारों तरफ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
Saharanpur: Bhim Army Chief Chandrashekhar alias Ravan comes out of jail after Uttar Pradesh government ordered his early release. He was jailed under NSA charges in connection with the 2017 Saharanpur caste violence case pic.twitter.com/kqE0fz53Yj
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 13, 2018
रावण ने बीजेपी पर बोला हमला
सहारनपुर की जेल रिहाई के तुरंत बाद चंद्रशेखर ‘रावण’ ने एक सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फटकार लगाई जा रही थी जिससे सरकार डरी हुई थी, इसलिए उन्होंने खुद को बचाने के लिए जल्दी रिलीज का आदेश दिया। मैं आश्वस्त हूं कि वह10 दिनों के भीतर मेरे खिलाफ कुछ न कुछ आरोप लगाएंगे। मैं 201 9 में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए अपने लोगों से बात करूंगा।
चंद्रशेखर उर्फ रावण को मई 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर में जातीय हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। चंद्रशेखर भीम सेना बनाकर सुर्खियों में आए थे। उन्हें 8 जून 2017 को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया था।
रावण की गिरफ्तार को लेकर दलित समाज में काफी विरोध हुआ था। गिरफ्तारी के बाद जिला प्रशासन को सहारनपुर में दो दिनों तक इंटरनेट सेवा बंद रखनी पड़ी थी। इसे लेकर राजनीति भी खूब हुई।
मायावती शब्बीरपुर पहुंची थीं, जिसके बाद हिंसा और भड़क गई थी। वहां के तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी को हटा दिया गया था। बाद में एसएसपी को निलंबित कर दिया गया था।
कांग्रेस व आम आदमी पार्टी सीधे तौर पर चंद्रशेखर के पक्ष में खड़ी थी। बीते दिनों आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जेल में बंद चंद्रशेखर से मिलने की अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार ने उन्हें अनुमति नहीं दी।
भीम आर्मी का गठन होने के बाद से ही पश्चिम यूपी में बीएसपी प्रमुख उससे खतरा महसूस करती रहीं। मायावती ने तो इसे आरएसएस की ही चाल बताया था। हिंसा के बाद मायावती ने अपने ऊपर हमले का भी आरोप लगाया था। महागठबंधन की कोशिशों के बीच चंद्रशेखर को भी साथ लाने के प्रयास तेज हो गए थे।
दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के जरिए कांग्रेस चंद्रशेखर पर लगातार डोरे डालती रही। जिग्नेश ने उनसे कई बार मुलाकात भी की थी और वाराणसी में हुए सम्मेलन में यह ऐलान भी कर दिया था कि मायावती उनकी बड़ी बहन हैं। वह और चंद्रशेखर मायावती के दाएं और बाएं हाथ हैं। इससे यह अटकलें तेज हो गई थीं कि चंद्रशेखर महागठबंधन के साथ आ सकते हैं। लखनऊ में हुए बीएसपी के मंडलीय सम्मेलन में भी पार्टी के नेताओं ने चंद्रशेखर से बहनजी के साथ आने की अपील कर दी थी। बीजेपी सरकार ने रावण को रिहाकर इस प्रयास को भी झटका देने की कोशिश की है।
दलित आक्रोश कम करने की कवायद
दलितों पर उत्पीड़न के लगातार आरोपों से भी बीजेपी लगातार जूझ रही है। एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुए भारत बंद में दलितों पर मुकदमे हुए थे। इससे यह आक्रोश और बढ़ गया था। वहीं, रावण पर लगातार एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) बढ़ाए जाने से भी दलितों में आक्रोश बढ़ रहा था। इसके बाद ऐक्ट में संशोधन कर दलितों का गुस्सा कम करने का प्रयास हुआ।
अब चंद्रशेखर की रिहाई को भी दलितों का आक्रोश कम करने की दिशा में एक कदम बताया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि बीजेपी चंद्रशेखर का इस्तेमाल मायावती के खिलाफ कर सकती है। इसके अलावा कांग्रेस सहित कई पार्टियों की दलितों को रिझाने की कोशिशों को भी झटका लगेगा।
फैसले की दो बड़ी वजह
सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी का कहना है कि चंद्रशेखर की एनएसए की अवधि नौ महीने हो ही चुकी है। इसे तीन महीने सरकार और बढ़ा सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था। सरकार सुप्रीम कोर्ट में किरकिरी होने से भी बचना चाहती है और चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ भी लेना चाहती है। यही चंद्रशेखर की रिहाई की बड़ी वजह है।