KDA की बड़ी लापरवाही, मृतक और रिटायर्ड कर्मचारियों का कर डाला तबादला

कानपुर : कानपुर विकास प्राधिकरण की घोर लापरवाही सामने आई है जहाँ केडीए उपाध्यक्ष को खुश करने के चक्कर में कर्मचारियों का तबादला करने को लेकर अफसर इतना एक्टिव हो गए कि सत्यापन किए बगैर ही 65 कर्मचारियों का तबादला कर दिया। बाद में पता चला कि जिन कर्मचारियों का लॉटरी के माध्यम से तबादला हुआ है, उनमें एक कर्मचारी की पूर्व में मृत्यु हो चुकी है और तीन रिटायर होकर घर बैठे हैं, जिसके बाद इतनी बड़ी लापरवाही का पता चलने पर जिम्मेदारों द्वारा अपनी साख और नाक बचाने के लिए एक संशोधित लेटर जारी कर दिया गया, जिसमे विभाग की बड़ी लापरवाही को छुपाने के लिए भरपूर प्रयास किया मग़र तबतक बहुत देर हो चुकी थी ।

आपको बताते चले कि केडीए में इन दिनों बदलाव का दौर जारी है। केडीए की कार्यशैली सुधारने के लिए उपाध्यक्ष ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले के आदेश दिए थे, आला अफसर के सामने बेहतर परफॉरमेंस दिखाने के लिए अफसरों ने ताकत झोंक दी, लेकिन तेज़ रफ़्तार की वजह से रास्ता भटक गए और चूक कर बैठे, जहाँ मंगलवार को हुई मीटिंग में सुपरवाइजर, मेट, बेलदार, चपरासी समेत 65 लोगो की तबादला सूची जारी कर दी गयी, मग़र सूची जारी होने के बाद जब स्टाफ ने गौर किया तो सबके होश फाख्ते हो गए, सूची में 52 नंबर पर मेट जगन्नाथ का नाम था, उसे प्रवर्तन जोन 3 में वर्तमान में तैनात दिखाते हुए कार्मिक विभाग में तबादला दिया गया, जबकि, कर्मचारी रिटायर हो चुका है । इसी तरह, 54 नंबर पर बेलदार रमेश चन्द्र को प्रवर्तन जोन 3 में तैनात दिखाते हुए अभियंत्रण जोन 3 में तैनाती दे दी गई। यह भी रिटायर हो चुका है। 57 नंबर पर बेलदार राम कुमार को प्रवर्तन जोन 3 में वर्तमान में तैनात दिखाते हुए उसे विक्रय जोन 4 में तबादला दे दिया। यह भी रिटायर्ड कर्मचारी है। मग़र गजब तो तब हो गया, जब 53 नंबर पर चपरासी राजेन्द्र सिंह को प्रवर्तन जोन 3 से अभियंत्रण जोन 3 में तैनात कर दिया। विभाग का कहना है कि इस कर्मचारी की कुछ समय पहले मौत हो चुकी है।

जिसके बाद तबादले में बड़ी चूक सामने आते ही अफसर एक्टिव हो गए। बुधवार को संशोधित आदेश जारी हुआ। जिसमें 52, 53, 54 और 57 नंबर पर दर्ज कर्मचारियों के नामों को विलोपित करते हुए संशोधित आदेश को हरी झंडी दी गई। मामले को छिपाने की भरसक कोशिश की गई, जिससे कि किरकिरी न हो। वहीं, सूत्रों का कहना है कि आला अफसर के संज्ञान में आने के बाद जिम्मेदार अफसरों से जवाब-तलब हो सकता है।

वही जब हमने इस बाबत अनुसचिव कार्मिक विभाग केसीएम सिंह से इस लापरवाही के बारे में बात किया तो उनका कहना था कि तबादला सूची में त्रुटिवश कुछ नाम शामिल हो गए थे, उन्हें हटाने के बाद संशोधित सूची यथावत जारी कर दी गई है।

तो वही कुछ अफसरों का कहना है कि तबादले नियमानुसार तैनाती के आधार पर किए गए हैं। लेकिन, सच यह भी है कि प्रवर्तन समेत अन्य विभागों में लंबे समय से तैनात खिलाड़ी कर्मचारी अभी भी अपनी सीट पर कुंडली मारे बैठे हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ उपाध्यक्ष की मुहिम की सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कर्मचारी भी भीतरखाने से नाराज हैं। इससे माहौल बिगड़ रहा है। अभियंताओं की तबादला सूची पर मंथन जारी है। कुछेक को छोड़ कर बाकी अभियंता इत्मिनान से बैठे हैं। विभागीय सूत्रों के हवाले से खबर है कि तबादले में वीटो लगाने के लिए माननीय और लखनऊ के बड़े अफसरों का सहारा लिया जा रहा है। खास तौर पर प्रवर्तन में तैनात कुछ ‘मठाधीश‘ अपना ‘अंगदपांव‘ जमाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं। अब सिफारिश का जादू चल पाता है या नहीं, यह तो तबादले होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

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