दिल्ली विधानसभा से निलंबित भाजपा विधायकों का मामला पहुंचा हाई कोर्ट

नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के निलंबित विधायकों से पूछा है कि क्या वे विधानसभा स्पीकर से मुलाकात कर और उपराज्यपाल से माफी मांग सकते हैं। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने इन विधायकों की ओर से पेश वकील जयंत मेहता को निर्देश दिया कि वे भाजपा विधायकों से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें।

आज सुनवाई के दौरान विधानसभा स्पीकर ने सुझाव दिया कि अगर भाजपा विधायक उनसे मुलाकात करें और उपराज्यपाल से माफी मांग लें तो इस विवाद का हल निकाला जा सकता है। उसके बाद हाई कोर्ट ने जयंत मेहता से स्पीकर के सुझाव पर भाजपा विधायकों से निर्देश लेने को कहा।

इस मामले की हाई कोर्ट ने 19 फरवरी को भी सुनवाई की। इस दौरान वकील मेहता ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि आप अनिश्चितकाल तक किसी को निलंबित नहीं रख सकते हैं। पहली घटना पर किसी विधायक को तीन दिन और दूसरी बार सात दिन की अधिकतम सजा दी जा सकती है। इस मामले में इन विधायकों की यह पहली सजा है, ऐसे में उन्हें तीन दिन से ज्यादा की सजा नहीं दी जा सकती है।

दरअसल 15 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण के दौरान कथित तौर पर बाधा डालने के आरोप में सात भाजपा विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। आम आदमी पार्टी विधायक दिलीप पांडेय ने विधानसभा में सातों विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव रखा था, जिसे पारित कर दिया गया। स्पीकर रामनिवास गोयल ने विधायकों की ओर से बाधा डालने के मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया। जिन सात विधायकों को निलंबित किया गया उनमें मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल वाजपेयी, जितेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता शामिल हैं।

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