ताइवान की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी के चलते चीन बौखला गया है. उसे अब यकीन हो चुका है कि ताइवान अब उसके चंगुल में नहीं फंसेगा. चीन ताइवान को अपने साम्राज्य का हिस्सा मानता है, उसे लग रहा है कि अमेरिका से ताइवान की नजदीकी उसके दावे की हवा निकाल देगी. ऐसे में ताइवान का अमेरिका से हथियारों का सौदा करना चीन के लिए नागवार गुजरा है. चीन ने अमेरिका के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है.
China punishes U.S. entities as retaliation for arms sales to Taiwanhttps://t.co/OemEL1GfWA
— Kyodo News | Japan (@kyodo_english) October 26, 2020
दरअसल, ताइवान को जंगी हथियार बेचने पर चीन ने अमेरिका की तीन बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंध का ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका की बोइंग डिफेंस, लॉकहीड मॉर्टिन और रेथियॉन अब चीन में कोई व्यापार नहीं कर पाएंगी. बता दें कि इन तीनों कंपनियों के बने हुए हथियारों को ही अमेरिका ने ताइवान को बेचा है.
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Today's #DucoDaily starts the week off looking at #China and #Taiwan. Have you heard about the recent U.S.-Taiwan arms sale and China's reaction to it? pic.twitter.com/ygcrA9q398
— Duco (@ducoexperts) October 26, 2020
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ‘झाओ लिजियन’ ने 26 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कि यह प्रतिबंध 21 अक्टूबर को ताइवान को 1.8 बिलियन डॉलर के हथियारों को बेचने पर लगाया गया है. इसमें सेंसर, मिसाइल और तोपखाने शामिल हैं. उन्होंने कहा कि चीन के पास ताइवान को हथियार बेचने वाली कंपनियों को दंडित करन का पूरा अधिकार है.
China will impose unspecified sanctions on Boeing Co.’s defense unit, Lockheed Martin Corp. and Raytheon Technologies Corp. after the U.S. State Department approved $1.8 billion in arms sales to Taiwan last week.@markets
— J.M. Hamilton (@jmhamiltonblog) October 26, 2020
चीन पहले से ही विदेशी तकनीक की चोरी कर हथियार बनाने के मामले में बदनाम है. उसने ऐसे कई हथियार बनाए हैं. जो दूसरे देशों के तकनीक पर आधारित हैं. जैसे- चीन का चेंगदू जे-10, अमेरिका के एफ-16 लड़ाकू विमान की कॉपी है. वहीं, चीन का जे-20 स्टील्थ विमान, अमेरिका के एफ-35 की कॉपी कर बनाया है. इतना ही नहीं, चीन ने रूस से भी कई जहाजों के मॉडल चुराए हैं. इसमें मिग-21 की कॉपी चेंगदू जे-7 शामिल है.
चीन पहले से ही अमेरिका को हथियारों को बेचने पर कार्रवाई करने की धमकी दे रहा था. हालांकि उसने पहले कभी नहीं बताया था, कि वह किस प्रकार की कार्रवाई करेगा. फिर भी सैन्य जानकारों का मानना था, कि चीन भूलकर भी अमेरिका के साथ जंग की सोच भी नहीं सकता है. ऐसे में वह आर्थिक प्रतिबंध की तरफ जाएगा. चीन ने कहा था कि हथियारों की इस डील से अमेरिका और उनके सशस्त्र बलों के साथ उसके संबंध और खराब हो सकते हैं.
China to Sanction Boeing, Raytheon Over Arms Sales to Taiwan https://t.co/uWHmszvuIG via @YahooFinanceCA
— velomarc (@velomarc) October 26, 2020
अमेरिकी विदेश विभाग ने 21 अक्टूबर को घोषणा की, कि उसने ताइवान को उसकी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 135 टारगेटेड ग्राउंड अटैक मिसाइल, सैन्य उपकरण और प्रशिक्षण संबंधी चीजों बेची हैं. विभाग ने एक बयान में कहा था है, कि यह सौदा एक अरब डॉलर से अधिक का है. बताया जा रहा है, कि इन मिसाइलों को बोइंग ने बनाया है.
इस डील में ताइवान को एफ- 16 फाइटर जेट के लिए एडवांस सेंसर, समुद्र में दुश्मन के युद्धपोतों को बर्बाद करने के लिए सुपरसोनिक लो एल्टिट्यूड मिसाइल और हैमर्स रॉकेट भी दिए जाएंगे. पिछले साल ही अमेरिका ने ताइवान को 66 एफ-16 लड़ाकू विमान देने की डील की थी.
ताइवान को डर सता रहा है कि अगर ट्रंप हार गए तो बाइडन इतने घातक हथियार शायद ही ताइपे को दें. इसीलिए ताइवान जल्दय से जल्दा इन हथियारों की आपूर्ति चाहता है. चीन लगातार ताइवान स्ट्रेाट के पास युद्ध अभ्यास कर रहा है. जिससे ताइवान का डर और बढ़ता जा रहा है. एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ताइवान रक्षा पर काफी खर्च कर रहा है. लेकिन उसे आत्मुनिर्भर बनने की जरूरत है.