
अधिकारियों की मिलीभगत से मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़
प्रसव के दौरान झोलाछाप चिकित्सकों के यहां कई मौत भी हो चुकीं हैं
आखिर क्यों मोन बना बैठा है चिकित्सा विभाग
नवीन गौतम/भूपेन्द्र सागर
हापुड/गढ़मुक्तेश्वर। अधिकारियों की मिलीभगत से मरीजों की जान से हो रहा जनपद में खिलवाड़।
ठंडे बस्ते में गया फर्जी अस्पताल के खिलाफ शुरू हुआ अभियान, शिकायतों के बावजूद नहीं हो रही कार्रवाई।
प्रदेश सरकार मरीजों को सुविधा देने के लिए जहां सख्ती कर रही है, वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जनपद हापुड में बिना रजिस्ट्रेशन धड़ल्ले से अस्पताल चल रहे हैं। यहीं वजह है कि जिले में फर्जी अस्पतालों का अवैध धंधा फलफूल रहा है। कुछ का पंजीकरण क्लीनिक के नाम पर है तो कुछ बगैर पंजीकरण के ही चल रहे हैं और सभी जगह ओपीडी के साथ प्रसव भी कराए जाते हैं। अवैध रूप से चल रहे अस्पतालों पर अंकुश लगाने के लिए करीब छह माह पूर्व सीएचसी अधीक्षकों को इनकी सूची तैयार करने के लिए निर्देशित किया गया था, लेकिन अधीक्षकों ने निरीक्षण मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
गढ़मुक्तेश्वर में कई अस्पताल और जच्चा बच्चा केंद्र फर्जी तरीके से चल रहे है, जिनकी सूचना स्वास्थ्य विभागों को है, लेकिन मिलीभगत के चलते बिना डिग्री और पंजीकरण निजी अस्पताल और जच्चा बच्चा केंद्रों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। बिना किसी डर भय के संचालन गर्भवती महिलाओं के प्रसव भी करा रहे हैं, जो मरीज के लिए काफी गंभीर विषय है। इस तरह के अस्पतालों पर अप्रशिक्षित चिकित्सक और नर्स ही काम काज संभालने में लगे रहते है, जिन्हें दवाई या अन्य मामलों की गंभीरता से परख तक नहीं होती है। जिससे पता चलता है कि मरीजों की जान के साथ खुलकर खिलवाड़ हो रहा है और स्वास्थ्य विभाग व स्थानीय प्रशासन आंखे मूंदे हुए है।
चार वर्ष पूर्व हुई कार्रवाई से नहीं पड़ा कोई फर्क: बता दें कि गढ़ में नक्का कुआं रोड पर स्थित एक जच्चा बच्चा केंद्र पर कई बार छापा पड़ चुका है, लेकिन आज भी वह ऐसे ही बिना किसी रजिस्ट्रेशन और डिग्री धारक चिकित्सक और नर्स के बिना चल रहा है, आखिर स्वास्थ्य विभाग इस तरह से क्षेत्र में चल रहे धंधे पर कार्रवाई करने को तैयार क्यों नहीं होता। इसके अलावा भी क्षेत्र में विभिन्न नर्सिंग होम और जच्चा बच्चा केंद्र इसी तरह चल रहे हैं।
यह है अस्पताल का मानक: रजिस्ट्रेशन एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टर के नाम पर होता है। प्रसव के लिए एमबीबीएस महिला डॉक्टर या फिर प्रशिक्षित स्टाफ नर्स, फायर बिग्रेड और प्रदूषण बोर्ड से एनओसी, बिल्डिंग का नक्शा, किरायानामा या मालिकाना हक, कचरा प्रबंध के लिए अलग अलग रंग की बाल्टी आदि होनी चाहिए। मेडिकल स्टोर होने की स्थित में उसका भी पंजीकरण होना चाहिए।
फर्जी अस्पतालों पर अंकुश लगाने के लिए पहले भी कार्रवाई की गई हैं, जल्द ही सभी सीएचसी अधीक्षकों से फर्जी तरीके से संचालित क्लिनिक व अस्पतालों की सूची मंगवाकर कार्रवाई की जाएगी।
रेखा शर्मा
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO)