क्या आपके बच्चे भी चबाते हैं कॉलर-नाखून, ध्यान दें नहीं तो हो जाएंगे इसका शिकार

अमेरिका के बच्चों में डिप्रेशन तेजी से बढ़ रहा है। इसे देखते हुए वहां के हेल्थ पैनल ने 8 से 18 साल की उम्र के सभी बच्चों की डिप्रेशन की जांच करने की सिफारिश की है। यह सिफारिश ऐसे वक्त की गई है, जब बच्चों में खुदकुशी का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है।

अमेरिका के 85 लाख बच्चे डिप्रेशन में

अमेरिका के प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स एडवाइजरी ग्रुप ने कहा है कि इस जांच से बच्चों के मानसिक तनाव को कम करने में मदद मिलेगी। टास्क फोर्स ने स्टडी में पाया है कि अमेरिका में 18 साल तक के कुल 7.28 करोड़ बच्चों में से 85 लाख बच्चे डिप्रेशन का शिकार हैं। इनका उपचार चल रहा है या पूरा हो चुका है। हालांकि अब भी ऐसे बहुत से बच्चे हैं जिनकी जांच नहीं हो पाई है।

टास्क फोर्स समिति की मेंबर और मसान यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मार्था कुविक का कहना है कि अमेरिका की प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स कोई रेगुलेटरी अथॉरिटी नहीं है, लेकिन इसकी सलाह काफी मायने रखती है। जिन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की रूटीन जांच नहीं हुई है, उनकी भी जांच इस अभियान में होगी।

नाखून चबाना मानसिक रोग का लक्षण

पीडियाट्रिक बिहेवियर हेल्थ इंट्रीग्रेशन प्रोग्राम की डायरेक्टर हसु वाल्केट का कहना है कि 3 साल का ऐसा बच्चा जो कॉलर चबाता है, वह 9 साल में नाखूनों को दांत से चबाने लगता है। वहीं, जो बच्चा किशोरावस्था में स्कूल जाने के लिए संघर्ष करता है, वह एंग्जाइटी का शिकार हो सकता है। मानसिक रोग से पीड़ित आधे से ज्यादा बच्चों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है।

युवाओं में आत्महत्या का जोखिम बढ़ा, लड़कियों में ज्यादा

अमेरिकी नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स की सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 24 साल के युवाओं में आत्महत्या का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। 2020 से 2021 के सर्वे में सामने आया कि 10 से 14 साल की 16% लड़कियों ने आत्महत्या की है।

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