‘केदारनाथ’पर संकट, सात जिलों में हुई बैन

फिल्म ‘केदारनाथ’ पर संकट कम होने का नाम नही ले रहा है. लंबे समय से विवादों से घिरी अभिषेक कपूर की ‘केदारनाथ’आज यानि कि 7 दिसंबर को रिलीज हुई है।  फिल जगत के सुपर स्टार सुशांत सिंह राजपूत और सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान की जोड़ी वाली फिल्म ‘केदारनाथ’ को उत्तराखंड के सात जिलों में दिखाए जाने पर रोक लगा दी है।

एडीजी कानून-व्यवस्था अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया है कि ‘जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में हालात को देखते हुए यह फैसला लिया है। फिल्म के प्रदर्शन पर देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर, पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा जिलों में बैन लगा है। हालांकि गुरुवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मूवी पर बैन से इंकार किया था।  नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों के जिलाधिकारियों ने गुरुवार को फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया था। आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को रिलीज हो गई  2013 में केदारनाथ की प्रलयंकारी बाढ़ की त्रासदी की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘केदारनाथ’ के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध ना लगाते हुए इस संबंध में जिलाधिकारियों को हालात के अनुसार स्वयं निर्णय लेने को कहा था। 

हाईकोर्ट ने फिल्म पर रोक की याचिका खारिज की थी

वहीं हाईकोर्ट ने केदारनाथ फ़िल्म के खिलाफ दायर जनहित याचिका निस्तारित कर दी थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की संयुक्त खंडपीठ ने गुरुवार को मामले में सुनवाई की। देहरादून निवासी दर्शन भारती ने केदारनाथ फ़िल्म में हिन्दू धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।

सतपाल महाराज की कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट
फिल्म को लेकर उठ रही आपत्तियों के मद्देनजर सरकार ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में कमेठी गठित की। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि हमारी समिति ने हमारा सुझाव मुख्यमंत्री को भेज दिया है और तय किया है कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए। हमने जिला मजिस्ट्रेटों से शांति बनाए रखने के लिए कहा है और सभी ने तय किया है कि फिल्म ‘केदारनाथ’ को प्रतिबंधित कर दिया जा। यह फिल्म राज्य में सभी जगह प्रतिबंधित है। 

क्या है फिल्म को लेकर विवाद
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि फिल्म में केदारनाथ मंदिर परिसर में बोल्ड किसिंग सीन और लव जेहाद जैसे दृश्य फिल्माए गए हैं। संयुक्त पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आपत्तिजनक सीन का मामला सेंसर बोर्ड के अधिकार का है वहीं शांति व्यवस्था सरकार या जिले में डीएम के जिम्मे है, ऐसी किसी परिस्थिति में सरकार अथवा उसके नुमाइंदा बतौर डीएम फैसला ले सकते हैं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की है कि जनता चाहे तो यह फिल्म न देखे। 

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अदालत ने कहा कि याचिका दायर कर याची फिल्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रदेश में इसके लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि कमेटी को नियमानुसार इस पर निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता दर्शन भारती ने कहा कि उन्हें इससे निराशा हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश और केंद्र सरकार से इस फिल्म पर रोक की मांग की जाएगी। उच्चस्तरीय कमेटी से भी वह इस मामले में अनुरोध करेंगे। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।

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