
राजस्थान में बीते 4 दिनों से सियासी घमासान जारी है, पिछले 72 घंटे की कोशिशों के बाद आखिरकार सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस हाईकमान का विश्वास जीतने में सफल रहे, पार्टी ने गहलोत की जादूगरी पर भरोसा करते हुए बागी तेवर दिखा रहे सचिन पायलट को डिप्टी सीएम तथा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से हटाने पर हामी भर दी, पायलट के करीबी दो मंत्रियों को भी बर्खास्त किया गया है, अब सचिन पायलट के अगले दांव पर सबकी नजर है, क्योंकि मैदान में बीजेपी ने भी एंट्री कर ली है, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया आज बीजेपी विधायकों से मुलाकात करने वाली हैं, आइये जानते हैं कि गहलोत ने आखिर पायलट के पैतरों का कैसे काट निकाला।
प्रद्युम्न सिंह का बड़ी भूमिका
अशोक गहलोत के बेहद करीबी और 3 बार विधायक रह चुके प्रद्युम्न सिंह की इसके पीछे बड़ी भूमिका मानी जा रही है, सचिन खेमे के साथ गये बागी विधायकों को समझा-बुझाकर वापस लाने के लिये वो शुक्रवार से ही दिल्ली में थे, इन 4 विधायकों में प्रद्युम्न सिंह के बेटे रोहित बोहरा, दानिश अबरार, प्रशांत बैरवा, चेतन डूडी शामिल हैं, जो सचिन के दोस्त और करीबी माने जाते हैं, गहलोत ने शनिवार को किसी तरह रोहित बोहरा से फोन पर संपर्क किया, फिर उनके जरिये ही बाकी तीनों विधायकों को भी मनाया।
जनीतिक भविष्य पर खतरा
राजस्थान के एक कांग्रेस नेता ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि सीएम अशोक गहलोत ने चारों विधायकों को समझाया कि सचिन पायलट के साथ जाकर उनका राजनीतिक भविष्य अधर में चला जाएगा, तब पायलट के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज थी, गहलोत ने चारों विधायकों की मांगे सुनने तथा उन्हें सरकार में अहम जिम्मेदारी देने का भी भरोसा दिया है।
विधायकों ने माफी मांगी
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का दावा है कि अशोक गहलोत से फोन पर बातचीत होने के बाद इन चारों विधायक ने सुबह 4 बजे ही दिल्ली छोड़ जयपुर पहुंचे, फिर सीएम के साथ उनकी अलग-अलग बैठक हुई, सूत्रों के अनुसार विधायकों ने इस दौरान सीएम से माफी भी मांगी। रविवार को इन चारों विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस कर ऐलान किया, कि वो अशोक गहलोत के साथ हैं, इनमें शामिल अबरार ने कहा कि हम पीढियों से कांग्रेस के सिपाही हैं और पार्टी में ही रहेंगे।
सचिन को भी मनाने की कोशिश
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को भी मनाने की भरपूर कोशिश हुई, पार्टी हाईकमाम से लेकर दिग्गज नेताओं ने बार-बार उन्हें फोन और मैसेज के जरिये संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन सचिन अपनी मांग पर अड़े हैं, उनका कहना है कि या तो मुझे सीएम बनाओ, या फिर किसी तीसरे को, अशोक गहलोत किसी भी हाल में सीएम के रुप में मंजूर नहीं हैं।