महोबा(आरएनएस )। शहर में जिला पंचायत की बेशकीमती जमीन पर कई सालों से अवैध कब्जा जमाये भू माफिया पर करोड़ों रुपये रिकवरी का नोटिस जारी जारी हुई थी। नोटिस के बाद भी आरसी की रकम जमा न करने पर तहसीलदार ने अवैध कब्जाधारी को जेल भेज दिया। इस कार्रवाई के बाद से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किए भूमाफिया में भी हड़कंप मचा है।
शहर के आल्हा चौक के समीप जिला पंचायत की बेशकीमती संपत्ति पर माधव खरे का अवैध कब्जा है। जिसको लेकर जिला पंचायत ने बेदखली के नोटिस सहित 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा था। जिस पर राजस्व विभाग ने जिला पंचायत से जारी हुई। आरसी के तहत इनको नोटिस और मांग पत्र दिया था। 15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई धनराशि जमा नहीं की गई। जिस पर तहसीलदार बालकृष्ण सिंह के निर्देश पर राजस्व की टीम मौके पर पहुंची जहां तकरीबन 5 घंटे तक राजस्व कर्मियों को उक्त कब्जाधारी को पकड़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ी।
जिला पंचायत की जमीन पर किया अवैध कब्जा
इसके बाद तहसील से आरोपी को जेल भेज दिया गया। तहसीलदार बालकृष्ण सिंह ने बताया कि जिला पंचायत विभाग द्वारा जारी की गई आरसी की रकम जमा न किए जाने पर जेल भेजने की कार्रवाई की गई है। इस पूरे मामले को लेकर समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता जीवनलाल चौरसिया कहा कि जिला पंचायत की बेशकीमती जमीन पर 46 साल से माधव खरे कब्जा किए हैं। गलत तरीके से सरकारी जमीन की न केवल रजिस्ट्री की गई। बल्कि किराए पर उठाकर सरकारी जमीन अवैध कब्ज़ा किया गया। इस अवैध कब्जों की शिकायतों के बाद अब कार्रवाई होती दिख रही है। बीते दिनों जिला पंचायत विभाग ने कब्जाधारी माधव खरे को 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा फिर भी कोई बड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।
आरोप है कि सत्ता पक्ष और प्रशासन के लोगों की मिलीभगत के चलते कब्जा धारी बेखौफ था। सरकारी संपत्ति को कब्ज़ा मुक्त कराने के लिए समाजसेवी जीवनलाल चौरसिया साढ़े 4 वर्ष से लड़ाई लड़ रहे है। उनके द्वारा भू माफिया के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है। उससे उसकी जान को भी खतरा है। वह बताते हैं कि आरसी की रकम जमा न करने वाले कब्जाधारी को पकड़ने गई राजस्व टीम को पांच घंटे लग गए। जो कहीं न कहीं सत्ता पक्ष के दबाब को दर्शाता है। सत्ता पक्ष के लोग ही भू माफिया को बचाने में जुटे थे। मगर अब उसे जेल भेज दिया गया है।