मोदी सरकार ब्लॉक कर सकती है व्हाट्सएप, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया एप्स, सामने आयी ये वजह…

नई दिल्ली: देश में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं. मॉब लिंचिंग की ज्यादातर घटनाओं के पीछे सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों को कारण बताया जा रहा है. सरकार भी इसे लेकर परेशान है. कंपनियों से इस संबंध में संपर्क किया जा चुका है. लेकिन, कंपनियों के पास भी फीचर्स में बदलाव के अलावा कोई ठोस उपाय नहीं है. ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर सरकार वॉट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल ऐप को ब्लॉक कर सकती है. इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही है. सरकार ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों से इस मामले में तकनीकी जानकारी मांगी है. टेलीकॉम विभाग ने सभी पत्र लिखकर पूछा है कि अगर राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में है, तो क्या इन्हें ब्लॉक किया जा सकता है?

ब्लॉक करने की क्यों है जरूरत
दरअसल, सरकार मान रही है कि पिछले कुछ समय से देश में हुई मॉब लिंचिंग के पीछे सोशल मीडिया का बड़ा हातथा है. फेसबुक, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम के जरिए लोग अफवाह फैलाते हैं, जिसकी वजह से देश में ऐसी घटनाएं होती हैं. सरकार इसे रोकने की हर संभव कोशिश भी कर रही है. सरकार ने इसे लेकर फेसबुक और वॉट्सऐप को नोटिस भी जारी किया था.

ब्लॉक करने के लिए राय मांगी
सरकार अब इस पर विचार कर रही है कि हालात बिगड़ने पर क्या ऐसे मोबाइल ऐप और सोशल नेटवर्क को ब्लॉक किया जा सकता है. आपको बता दें, 18 जुलाई को दूरसंचार विभाग ने ऑपरेटर्स को पत्र लिखकर आईटी कानून की धारा 69ए के तहत सोशल ऐप्स को ब्लॉक करने पर राय मांगी थी.

ब्लॉक करने का है अधिकार
सरकार के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी सोशल नेटवर्क को ब्लॉक कर सके. लेकिन, ऐसा उस स्थिति में हो सकता है जब नेटवर्क पर कोई आपत्तिजनक कंटेंट डाला जाए. आईटी एक्ट (संशोधित) 2008 की धारा 69-ए के तहत सरकार के पास यह अधिकार है कि वह इंटरनेट पर आपत्तिजनक कंटेंट को ब्लॉक कर सके. अगर सरकार को लगता है कि वह किसी कंटेंट से राज्य की सुरक्षा, भारत की संप्रभुता या अखंडता को खतरा है तो सरकार उस कंटेट को ब्लॉक कर सकती है. साथ ही विदेशी संबंध बिगड़ने जैसे हालात में भी इसे ब्लॉक किया जा सकता है.

सरकार की वॉट्सऐप, फेसुबक को चेतावनी
वॉट्सऐप ने मैसेज फॉरवर्ड करने की सुविधा सीमित कर दी है. लेकिन, संदेश के स्त्रोत का पता लगाने की कार्रवाई पर असहमति जताई है. सरकार की कंपनी से यही प्रमुख मांग है. पिछले महीने ही आईटी मंत्रालय ने पत्र लिखकर वॉट्सऐप को कहा था कि एेसी घटनाओं के बाद प्लेटफॉर्म जिम्मेदारी से नहीं बच सकते. ऐसे संदेश बनाने वालों की पहचान अनिवार्य है.

हो सकती है कानूनी कार्रवाई
वहीं, सरकार ने फेसबुक को भी चेतावनी दी थी कि पर्याप्त जांच नहीं होने पर सोशल साइट को ही उकसाने वाले के तौर पर देखा जाएगा और किसी भी घटना का जिम्मेदार माना जाएगा. ऐसे में कंपनी को कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. हालांकि, अभी तक इस मामले में कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. लेकिन, घटनाओं को देखते हुए अब सरकार नया कदम उठाने पर विचार कर रही है.

 

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