बांदा जेल के बैरक नंबर 15 में पहले भी 26 महीने रह चुका है मुख्तार, राजनीति है डॉन की खानदानी विरासत

पंजाब के रोपड़ से UP के बांदा तक साढ़े 14 घंटे के सफर के बाद गैंगस्टर विधायक मुख्तार अंसारी बुधवार तड़के 4.30 बजे बांदा जेल पहुंच गया। पंजाब में जहां मुख्तार व्हील चेयर से एंबुलेंस में सवार हुआ था, वहीं बांदा जेल में वह अपने पैरों पर खड़ा होकर अंदर गया। डॉक्टर्स के पैनल की जांच में वह पूरी तरह फिट पाया गया। हालांकि, वह घबराया हुआ था।

बांदा जेल में मुख्तार को जेल प्रशासन ने सरप्राइज दिया। शुरूआत में उसे बैरक नंबर 15 में रखे जाने का फैसला लिया गया था। इस बैरक में मुख्तार पहले भी रह चुका है, लेकिन अब उसे बैरक नंबर 16 में भेज दिया गया। उसका कोरोना टेस्ट होना है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद उसे बैरक नंबर 15 में रखा जाएगा। इसे तन्हाई जेल भी कहा जाता है। यानी इस बैरक में कोई और कैदी नहीं होगा। इस बैरक में CCTV भी लगाए गए हैं।

बांदा जेल में क्षमता 558 कैदियों की है, लेकिन यहां 780 कैदी हैं। 1860 में ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी ये जेल ओवरलोडेड है। ऐसे में सिक्योरिटी पर असर पड़ता है।

VIP ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा
प्रदेश सरकार के जेल मंत्री जय प्रताप सिंह जैकी ने कहा कि मुख्तार अंसारी को बांदा जेल के अंदर किसी भी तरह का VIP ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा। आम कैदियों की ही तरह उसे सुविधाएं दी जाएंगी। CCTV से उसकी हर एक एक्टिविटी पर नजर रखी जाएगी। जेल के अंदर आने वाले हर व्यक्ति पर भी नजर रखी जाएगी।

गैंगस्टर मुख्तार के खिलाफ 53 गंभीर मामले दर्ज हैं। उसके बांदा जेल में शिफ्ट होने पर जेल के बाहर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यहां 30 जवान तैनात किए गए हैं। बताया जा रहा है कि सुरक्षा को देखते हुए जिले में हाल ही में आए नए किराएदारों का वेरिफिकेशन भी करवाया जाएगा।

UP पुलिस की टीम अंसारी को लेकर रोपड़ जेल से मंगलवार दोपहर 2.05 बजे रवाना हुई थी। पुलिस के काफिले में करीब 10 गाड़ियां थीं, पूरे रास्ते इनमें से आधी एम्बुलेंस के आगे तो आधी पीछे चलती रहीं। इन गाड़ियों में कुल 150 पुलिसकर्मी थे। पंजाब से यह काफिला पटियाला रोड होते हुए शाम चार बजे हरियाणा के करनाल पहुंच चुका था। पुलिस के काफिले ने हरियाणा-यूपी में कुंडली बॉर्डर से प्रवेश किया। इसके बाद नोएडा, मथुरा, आगरा और कानपुर देहात, हमीरपुर होते हुए सुबह 4.34 बजे मुख्तार को बांदा जेल पहुंचाया गया।

यह गूगल मैप का वह रूट है, जिससे मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से उत्तर प्रदेश की बांदा की जेल तक लाया गया।

राजनीति मुख्तार की खानदानी विरासत
मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। दादा का नाम भी मुख्तार ही था, जबकि उसके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान महावीर चक्र विजेता थे। वहीं, उप राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी मुख्तार के चाचा हैं। जबकि बड़े भाई अफजाल अंसारी ने 2019 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को गाजीपुर से हराया था। मुख्तार भी 5वीं बार विधायक है।

1996 में मुख्तार ने मऊ विधानसभा से बसपा के टिकट पर पहला चुनाव जीता था। इसके बाद 2002, 2007, 2012 और 2017 का चुनाव जीता। 2009 में मुख्तार ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन तब हार गया। 2010 में बसपा ने मुख्तार को पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद उसने अपने भाई अफजाल अंसारी के साथ मिलकर कौमी एकता दल बनाया था, लेकिन 2017 के चुनाव में इस दल को बसपा में मर्ज कर दिया था।

बांदा जेल के बैरक नंबर 15 में पहले भी 26 महीने रह चुका है मुख्तार
बांदा जेल की बैरक नंबर 15 में मुख्तार अंसारी पहले भी 26 माह रह चुका है। सपा और बसपा सरकार के चहेते अंसारी को 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद बांदा जेल में डर लगने लगा। 2018 में उसने हार्ट अटैक का ड्रामा रचा और आनन-फानन में प्रशासन ने उसे लखनऊ के IGI में भर्ती कराया। जहां डाक्टर्स ने अंसारी को पूरी तरह फिट बताया था। अंसारी से पहले 15 नंबर बैरक में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया, पूर्व सांसद अतीक अहमद, सुरेश राणा, अनिल दुजाना और हरियाणा का सिंहराज भाटी भी रह चुका है।

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