अब हाटपैठ लेंगे गांवों के अस्थाई बाजारों की जगह, जानें क्या है इसकी खासियत

विनय सिंह

  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंडी परिसद बनाएंगा प्रदेश में पांच सौ हाटपैठ
  • सोलर एनर्जी से लैस, एक छत के नीचे स्थाई चबूतरे पर होगा व्यापार
  •  हाटपैठ तक ट्रैक्टर-ट्राली, बैलगाड़ी और भारी वाहन भी ले जाने की होगी सुविधा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिसद ने प्रदेश के गांवों में हाटपैठ बनाने का निर्णय लिया है। हाठपैथ उन स्थानों पर बनेगा जहां पर अस्थाई तौर पर किसान बाजार, अथवा अस्थाई मेले आदि लगते हों। ग्राम सभाओं के माध्यम से संचालित होने वाले इस हाटपैठ में ऐसी व्यवस्थाएं की जाएंगी, जिससे किसानों अथवा अस्थाई छोटे व्यापारी व्यवस्थित तरीके से अपना व्यवसाय कर सकें। मंडी परिषद के अधिकारियों द्वारा हाटपैठ की रूपरेखा तैयार कर ली गई है।

एक हजार वर्ग मीटर में बनेगा हाटपैठ

कार्ययोजना के अनुसार हाटपैठ एक हजार वर्ग मीटर में बनेगा। व्यापारियों को बैठने और अपना माल रखने के लिए चबूतरे बनाए जाएंगे। परिषद एक छत के नीचे होगा। अंदर चबूतरे तक माल को ट्रैक्टर अथवा अन्य साधन से ले जाने के लिए भी पूरी व्यवस्था होगी। महिला और पुरुष शौचालय बनाए जाएंगे। स्वच्छ पेयजल की सुविधा और २४ घंटे बिजली की आपूर्ति के लिए पूरा हाटपैठ शोलर सिस्टम से लैस होगा।

ग्राम सभाओं के हाथ में होगा संचालन 

परिसर की सुंदरता बनाए रखने के लिए चारो तरफ छाया वृक्ष भी लगाए जाएंगे। पूरा परिषर एक बाउंड्रीवाल के अंदर रहेगा, जिससे कोई अव्यवस्था न हो सके। प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वर्तमान स्थिति में लगने वाले बाजारों और मेलों के आसपास सरकारी जमीन मुहैया कराई जाए, जिसमें कि हाटपैठ का निर्माण किया जा सके। हाटपैठ के निर्माण के बाद इस परिसर को ग्राम सभाओं को सौंप दिया जाएगा, जिससे सारी व्यवस्थाएं ग्राम सभाएं कर सकें। पांच सौ हाटपैठ का निर्माण होने के बाद २००० हाटपैठ और बनाए जाएंगे।

किसानो और व्यापारियों के लिए बड़ा प्लेटफॉर्म : निदेशक 
निदेशक राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद, लखनऊ  आरके पांडेय ने बताया प्रदेश में ऐसे ३२०० स्थानों को चिन्हित किया गया है, जहां पर हफ्ते में एक बार अथवा दो बार मेले अथवा बाजार लगते हैं। खुले मैदान में बाजार लगने के कारण किसानों अथवा व्यापारियों को बड़ी दिक्कत होती है। गर्मियों और बरसात के दौरान इन छोटे व्यापारियों की दिक्कतें और बढ़ जाती हैं। शौचालय की दिक्कत के साथ शाम के समय लाइट आदि की भी दिक्कत सामान्यत: देखी जाती है। ऐसी स्थिति में हाटपैठ इन किसानों और व्यापारियों के लिए बड़ा और सुविधाजनक प्लेटफार्म होगा और उनकी दिक्कतें कम हो जाएंगी।

 

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