पौड़ी : ‘कैच द रेन’ को लेकर केंद्रीय नोडल अधिकारी कर रहे भ्रमण

दैनिक भास्कर समाचार सेवा

पौड़ी। निदेशक इस्पात मंत्रालय और केंद्रीय नोडल अधिकारी अरूण कुमार और अश्वनी, अरविन्द रानाडे वैज्ञानिक राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के नेतृत्व में जल शक्ति अभियान ’कैच द रेन’ कार्यों के निरीक्षण हेतु केंद्रीय नोडल टीम भ्रमण पर है। मंगलवार को विकास भवन सभागार में जनपद के विभिन्न विभागों ने उनके जलशक्ति अभियान, अमृत सरोवर योजना, जल स्रोत पुनर्जीवन, वर्षा जल संरक्षण, चाल-खाल, नौले, वाटर पौंड, माइक्रो डैम आदि संबधित कार्यों का विभागवार प्रजेंटेशन दिया।

विभागों ने भविष्य की योजनाओं से कराया अवगत

इस दौरान सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, जल संस्थान, पेयजल निगम, ग्राम्य विकास, कृषि विभाग आदि विभागों ने जलशक्ति अभियान के कार्यों के साथ पर्यावरण संरक्षण, मृदा संरक्षण और वनीकरण के कार्यों की अभिनव पहल और भविष्य की कार्ययोजना के बारे में भी अवगत कराया।

इस दौरान जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि जनपद में जलशक्ति अभियान, अमृत सरोवर और वृक्षारोपण कार्यों के संबंध में ग्रामसभा स्तर पर पहले बैठकों का आयोजन किया गया। इनमें अभियान के तहत किए जाने वाले कार्यों के संबंध में स्थानीय लोगों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करते हुए उनकी भागीदारी ली गई।

विकासखंड स्तर से लेकर जिला पंचायत बैठकों तथा विभिन्न विद्यालयों के साथ ही विशेष आयोजन के अवसरों पर ’कैच द रेन’ शपथ दिलाई गई तथा लोगों को जल के व्यावहारिक उपयोग, वैज्ञानिक तरीके से उसका संवर्धन संरक्षण के संबंध में जागरूक किया गया।

जनपद की सभी 1775 ग्राम पंचायतों में 1775 मनरेगा एसेट्स निर्मित किए गए। 1775 वाटर कंजरवेशन सेंटर सुधारीकरण के साथ ही ग्राम पंचायत के जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) में उन कार्यो को जोड़ा गया है। इस वर्ष 125 गांवों में 121 हेक्टेयर भूमि पर 20 लाख पौधों को लगाया जाएगा। जलशक्ति अभियान और जल संवर्द्धन के कार्यों को राज्य वित्त, मनरेगा, विभागीय फंड, कैंपा, नाबार्ड आदि के माध्यम से वित्तीय आपूर्ति की जा रही है।

इस दौरान निदेशक नोडल केंद्रीय टीम के अरुण कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन व मनुष्यों द्वारा जल के अवैज्ञानिक दोहन के चलते जल संकट विश्वव्यापी हो चुका है। शहरों में भूमिगत जल नीचे जा रहा है। पहाड़ों में जल स्रोत झरने सूखते जा रहे हैं। इस कारण जल संरक्षण व मृदा संरक्षण मुख्य चिंतन के केंद्र में आ गया है।

बैठक में मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य, डीडीओ पुष्पेंद्र सिंह चौहान, डीपीआरओ जितेंद्र कुमार, पीडी स्वजल दीपक रावत, अधिशासी अभियंता सिंचाई सुनील कुमार, अधिशासी अभियंता जल संस्थान शिव कुमार राय सहित संबधिंत अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
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नई तकनीक के उपयोग से सामने आएंगे बेहतर परिणाम

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की की प्रो. अश्वनी अरविंद रानाडे ने कहा कि जलशक्ति अभियान, अमृत सरोवर अभियान और वृक्षारोपण के साथ-साथ मृदा संरक्षण व संवर्द्धन में परम्परागत तरीके के साथ आधुनिक रिसर्च हो रहे हैं और नई तकनीकें सामने आ रही हैं। यदि हम उनका भी उपयोग करेंगे तो और बेहतर परिणाम आएंगे। उन्होंने रुड़की तकनीकी संस्थान द्वारा इन अभियान में हर सम्भव तकनीकी मदद देने का आश्वासन देते हुए कहा कि हमें जलविहीन जंगल, वन्यजीव जैसे प्रकृति के आभूषणों को बचाने के लिए सबकी भागीदारी लेनी होगी।

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