तहसील में बने आवासों का छूटकर गिर रहा प्लास्टर, कहीं हो न जाए बड़ा हादसा

तहसील में आंवटित कक्ष की बजाए जर्जर आवासों में बैठकर करते हैं काम

भास्कर समाचार सेवा

गढ़मुक्तेश्वर। करीब 4 दशक पूर्व गाजियाबाद जनपद बनने के बाद गढ़ तहसील का निर्माम हुआ था। वहीं शासन के आदेश पर गढ़ तहसील परिसर में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आवासों का भी निर्माण कराया गया था। जो आज के समय में पूरी तरह से जर्जर अवस्था में खड़े हुए हैं। इतना ही नहीं तहसील परिसर में आने जाने वालों के लिए छत पर मौत बनकर झूल रहे क्षतिग्रस्त लैंटर कभी गिर सकते हैं, जो बड़ा हादसा साबित हो सकता है।
परिसर में न तो जल निकासी की ही पर्याप्त व्यवस्था है, न साफ-सफाई ही नियमित रूप से होती है। पीछे की ओर चारों तरफ जंगली झाड़ी, कूड़ा और गंदा पानी फैला हुआ है। लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार के आवास बने हुए हैं। 4 दशक पूर्व में बने आवास पूरी तरह बदहाल हो गए हैं। इतना ही नहीं जब लगातार बारिश होती है, तो सीलन के कारण कई जगहों पर पानी टपकने लगता है। जो वहां पर रहने वाले और कार्य करने वालों के लिए खतरा बना रहता है।

लेखपाल और राजस्व निरीक्षक आवंटित कक्ष में नहीं बैठते

तहसील में कक्ष आवंटन के बाद भी जर्जर आवास में बैठते हैं कर्मचारी
तहसील मुख्यालय में दूसरी मंजिल पर एक हॉल के रुप में तहसील लेखपाल और राजस्व निरीक्षक कक्ष बना हुआ है। लेकिन वहां पर फर्नीचर और बिजली फिटिंग की सही व्यवस्था न होने के कारण लेखपाल और राजस्व निरीक्षक नहीं बैठते हैं।

क्या बोले अधिकारी
इस संबंध में उच्चाधिकारियों से वार्ता कर क्षतिग्रस्त भवन को ध्वस्त कराया जाएगा, वहीं तहसील मुख्यालय में बने लेखपाल कक्ष में बैठने के लिए आरआई और लेखपालों को निर्देशित किया जाएगा।

अंकित कुमार वर्मा (एसडीएम)

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