- रेस्क्यू आपरेशन पर उठे सवाल
- जिस पाइप से गिरा, उसी से निकाला बाहर, समानांतर खुदाई हुई बेमानी
- एनडीआरएफ और प्रशासन ने नहीं अपनाई कोई वैज्ञानिक तकनीक
- गांव के युवा बलजिंदर ने किया रास्ता साफ करने का दावा
चंडीगढ़ । संगरूर जिला के गांव भगवानपुरा के बोरवेल में गिरे फतेहवीर को बाहर निकालने के नाम पर प्रशासनिक अमला पांच दिन तक हवा में तीर मारता रहा। पंजाब सरकार गहरी नींद सोती रही और एक बच्चा असमय मौत के मुंह में चला गया।
फतेहवीर छह जून की शाम बोरवेल में गिरा था। उसे बचाने के प्रयास उसी रात से शुरू हो गए थे। सात जून की सुबह से एनडीआरएफ की विशेषज्ञों की टीम तथा डेरासच्चा सौदा के वालंटियर राहत एवं बचाव कार्यों में जुट गए थे। लोगों में इस बात को लेकर काफी गुस्सा है कि एनडीआरएफ ने बोरवेल में फंसे बच्चे को बाहर निकालने के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाने की बजाय जो तकनीक अपनायी, उसमें ढेरों खामियां थीं। वजह कुछ भी सकती है। फतेहवीर जिस बोरवेल में गिरा, वह करीब 200 फुट गहरा था। फतेहवीर 112 से 115 फुट पर जाकर अटक गया और उसके हाथ व बाहें उपर की तरफ थीं। एनडीआरएफ की टीमों ने डेरा प्रेमियों की मदद से बोरवेल के बिल्कुल पास एक समानांतर सुरंग बनाई, जिसकी करीब 125 फुट तक खुदाई कर दी गई और रेत गिरना शुरू हो गया। उसके बाद एनडीआरएफ के प्रयास ढीले पड़ गए।
Two-year-old Fatehveer Singh, who had fallen into a borewell in Sangrur, has passed away. https://t.co/wMn4IAhJJe
— ANI (@ANI) June 11, 2019
#Punjab: Locals in Sangrur protest against the state government over death of two-year-old Fatehveer Singh who fell into a 150-foot-borewell on June 6. pic.twitter.com/8QSdOJHxaF
— ANI (@ANI) June 11, 2019
मंगलवार की सुबह करीब साढे़ चार बजे जब घटनास्थल के आसपास माहौल कुछ शांत था तो प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव के ही एक युवा बलजिंदर सिंह को कथित तौर पर उस पाइप में नीचे उतारा, जिससे फतेहवीर गिरा था। उक्त नौजवान ने करीब पांच बजे बाहर आकर दावा किया कि उसने फतेहवीर के आसपास जमा मिट्टी को हटा दिया है और फतेहवीर दिखाई दे रहा। इसके तुरंत बाद एनडीआरएफ का एक जवान बोरवेल में उतारा जो बच्चे को बाहर ले आया।
घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों का दावा है कि बचाव दल ने बच्चे को जिस पाइप की मदद से बाहर निकाला उसके आगे लोहे का कांटा लगा हुआ था। बच्चे को जब पाइप से बाहर निकाला गया तो उसके शरीर पर कांटे के कारण जख्म के निशान थे। ग्रामीणों का दावा है कि एनडीआरएफ ने फतेहवीर को बाहर निकालने के लिए कोई वैज्ञानिक तकनीक नहीं अपनाई, जिसके कारण वह असमय मौत का शिकार हो गया।
समय पर काम नहीं आया सरकार का हेलीकाप्टर
बीती छह जून से फतेहवीर के बोरवेल में गिरने के बाद सोमवार को पंजाब सरकार भी नींद से जागी और एक एयर एंबुलेंस अथवा हेलीकाप्टर को घटनास्थल पर खड़ा किया गया। दिलचस्प बात यह है कि मंगलवार की सुबह जब बच्चे को बाहर निकाला गया तो एयर एंबुलेंस घटनास्थल की बजाय पुलिस लाइन में था। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि एयर एंबुलेंस को उड़ान भरने में समय लग सकता है, जिसके चलते फतेहवीर को सडक़ मार्ग से चंडीगढ़ पीजीआई भेजा गया।