
जापान में कभी भूने गए कीट-पतंगों और टिड्डियों को सोया-सॉस में उबालकर खाने की परंपरा थी। अब फिर से ये ट्रेंड वापस लौट रहा है। खाने में कीट-पतंगों को शामिल करने के पीछे की वजह चौकाने वाली है। एक्सपर्ट्स का तर्क है कि इनको खाने से शरीर में कई तरह के विटामिन मिलते हैं। यहां झींगुर, बांस के कीड़े, रेशमकीट को पैकेट में 600 रूपये में बेचा जा रहा है।
हालांकि कई लोगों का मानना है कि खाद्य आत्मनिर्भरता के मामले में जापान की हालत खराब है। यहां खाद्य आत्मनिर्भरता अब तक के सबसे खराब स्तर (37%) पर है, इसीलिए यहां टिड्डियों और कीट-पतंगों के खाने का ट्रेंड बढ़ रहा है।
कीड़े खाने में जापानी लेते है चटकारे
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन संकट के कारण स्थिति और गंभीर होगी। भोजन की कमी को पूरा करने के लिए जापान में लोग भोजन में कीट-पतंगों और टिड्डियों को धीरे-धीरे शामिल कर रहे हैं। यहां झींगुरों का इस्तेमाल मेकअप के सामान, दवाइयां बनाने के लिए किया जाता था, लेकिन जापानी बड़े ही आनंद के साथ अब इसे खा रहे हैं।
रेस्टोरेंट में कीड़ों के व्यंजन खूब बिक रहे
कीट को पैकेट में बेचा जा रहा है। पैकेट बनाने वाली कंपनी के मुताबिक, अगर पैकेट की बिक्री अच्छी रही, तो इनके उत्पादन को और बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा कई बड़ी कंपनियां कीट फार्म लगा रही हैं। रेस्टोरेंट मालिक भी कीड़ों से अलग-अलग तरह काम खाना बना रहे हैं, ताकि लोग आनंद के साथ उनके रेस्टोरेंट में खाने आएं।
प्रोटीन की बर्बादी रोकने के लिए बनाई फूड कंपनी
2019 में तोकुशिमा विश्वविद्यालय में डेवलप मेंटर बायोलॉजी के प्रोफेसर ताकाहितो वतनबे ने फूड टेक्नोलॉजी कंपनी ग्रिलस की स्थापना की थी, ताकि कीट-पतंगों खासकर झींगुर को खाद्य स्रोत के तौर पर विकसित किया जा सके। उनका कहना है कि यह आइडिया प्रोटीन की बर्बादी की समस्या को हल करने में मदद करता है।
जापान की मशहूर लेखिका शोइची उचियामा के मुताबिक, ‘लोगों को खाने के लेकर धारणा बदलनी चाहिए। ये समझना चाहिए बहुत से कीड़े इंसान का पौष्टिक आहार रहे हैं। दक्षिण अमेरिका से लेकर एशिया तक कीटों को व्यंजन की तरह खाया जाता है।’