सुधा भारद्वाज
अरुण परेरा
सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक अरुण परेरा को पुलिस ने मुंबई से गिरफ्तार किया है. अरुण परेरा मुंबई के रहने वाले नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और लेखक हैं. नागपुर पुलिस की ऐंटी-नक्सल सेल ने 2007 में परेरा को पहली बार गिरफ्तार किया था.उनके खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हो चुके हैं और वह 5 साल तक जेल में भी रह चुके हैं. हालांकि सबूत की कमी की वजह से उन्हें 17 मामलों में बरी कर दिया गया था.अपनी किताब ‘कलर्स ऑफ दि केज: ए प्रिजन मेमॉयर’ में परेरा ने जेल में बिताए अपने करीब 5 साल के अनुभवों के बारे में लिखा है.
गौतम नवलखा
गौतम नवलखा एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार हैं. उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित इलाकों में उन्होंने काफी समय काम किया है. साथ ही वह पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स नाम के संगठन से भी जुड़े हुए हैं.नवलखा ने मुंबई यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और समाज शास्त्र की पढ़ाई की है. उन्होंने लंबे समय तक बतौर पत्रकार काम किया है. उन्होंने मानवाधिकार और न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पीपल्स ट्रिब्यूनल के संयोजक के रूप में भी काम किया है.
वर्नोन गोनसाल्वेज
वर्णन गोन्साल्वेज मुंबई में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता है. मुंबई विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल विनर वर्णन मुंबई के एक कॉलेज में लेक्चरर के पद पर काम कर चुके हैं. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों का आरोप है कि वह नक्सलियों की महाराष्ट्र राज्य समिति के पूर्व सचिव और केंद्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य हैं.2007 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था. और वह जेल में 5-6 साल की सजा भी काट चुके हैं.
पी वरवर राव
तेलंगाना के वारंगल के रहने वाले पी. वरवर राव कवि, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. हैदराबाद से उन्हें गिरफ्तार किया गया है. ह्यूमन राइट्स और सिविल लिबर्टीज फ्रंट पर वह काफी सक्रिय रहे हैं. उन्हें तेलुगू साहित्य के प्रमुख मार्क्सवादी आलोचक के रूप में भी जाना जाता है. राव ने यूनिवर्सिटी में टीचिंग का भी काम किया है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तारी से पहले पीएम मोदी की हत्या की कथित साजिश के सिलसिले में पुलिस ने राव के घर की तलाशी ली थी.