अब चीन की एक गलती उसके वजूद पर भारी पड़ेगी !

इन दिनों केंद्र सरकार चीन को बख्शने के मूड में बिल्कुल नहीँ है। चाहे अमित शाह की हुंकार हो, या फिर राजनाथ सिंह द्वारा भारत-तिब्बत बॉर्डर के निकट शस्त्र पूजा करना हो, वर्तमान केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाहे युद्ध का क्षेत्र हो या कूटनीति का, कहीं भी चीन को हावी नहीं होने दिया जाएगा। इसी बीच एनएसए अजीत डोभाल ने भी चीन को स्पष्ट चेतावनी दी है – यदि चीन ने भारत पर आक्रमण करने की हिमाकत भी की, तो भारत ललितादित्य मुक्तपीड़ की शैली में जवाब देगा – यानि सीमा पार कर चीनी खेमे में त्राहिमाम मचाएगा।

हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विजयदशमी के अवसर पर अपने गृह राज्य उत्तराखंड पधारे थे, जहां उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र के पौड़ी जिले में स्थित अपने पैतृक गाँव का दौरा भी किया। इसी बीच उन्होंने ऋषिकेश का भी दौरा किया, जहां उन्होंने कई विषयों पर बातचीत की। जागरण के रिपोर्ट की अनुसार, इतिहास गवाह है कि भारत ने कभी किसी पर हमला नहीं कियालेकिन देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए जरूरत पड़ी तो सीमा ही नहींसीमा से बाहर जाकर भी युद्ध कर सकते हैं। नया भारत अलग सोच का है। अपने स्वार्थ के लिए किसी को छेड़ेंगे नहीं और स्वाभिमान की रक्षा के लिए किसी को छोड़ेंगे नहीं।”

अजीत डोभाल ने आगे अपने व्याख्यान में यह भी कहा कि हमने दुनिया की बड़ी से बड़ी सभ्यताओं का पतन होते देखा तो नई सभ्यताओं को विकसित होते भी देखा, लेकिन भारतीय सभ्यता पूरी दुनिया में अनोखी है। सैकड़ों वर्षों तक विदेशी आक्रमण और गुलामी झेलने के बावजूद कोई भी बाहरी सभ्यता इस देश पर प्रभाव नहीं जमा सकी।अब इस व्याख्यान का क्या अर्थ है? अर्थ स्पष्ट है – अब भारत की रक्षा नीति आधिकारिक तौर पर ललितादित्य मुक्तपीड़ की आक्रामक रक्षा नीति का अनुसरण करेगी। कारकोट वंश के चक्रवर्ती सम्राट ललितादित्य मुक्तपीड़ कश्मीर के शासक थे, जिन्होंने भारत पर अरबों द्वारा आक्रमण होने पर एक अखिल भारतीय सेना का नेतृत्व किया। उनकी रक्षा नीति ऐसी थी कि शत्रु ने यदि उनकी मातृभूमि पर आक्रमण किया तो वे न केवल शत्रु को परास्त करते, बल्कि उसके घर तक दौड़ा-दौड़ा कर मारते।

इस नीति का अनुसरण भारत ने अगस्त माह में ही करना प्रारंभ कर दिया था, जब चीन के हमले के जवाब में भारत ने LAC पार कर चीनियों को उन्ही की शैली में जवाब दिया था। दरअसल, 29-30 अगस्त को भारत और चीन की सेनाओं के बीचपैंगोंग झील के दक्षिणी क्षेत्रमें एक चोटी पर कब्जे के लिए टकराव हुआ था। पीएलए ने करीब500 सैनिकोंको इन पहाड़ियों पर कब्जा करने के इरादे से आगे बढ़ाया लेकिन जब तक चीनी सेना अपनी योजना में कामयाब होती भारतीय सैनिकों ने इन पहाड़ियों पर पहले ही कब्जा कर लिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने यहां परसर्विलांस सिस्टम और कैमरेभी लगा रखे थेजिससे भारतीय सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएबावजूद इसके चीनियों को भनक लगने से पहले ही भारतीय सेना इन चोटियों पर काबिज हो गई।

ऐसे में अब भारत की नीति स्पष्ट है – चीन के किसी भी गलत कदम पर भारत न केवल मुंहतोड़ जवाब देगा, बल्कि चीनी खेमे में घुसकर त्राहिमाम भी मचाएगा, ठीक वैसे ही, जैसे 2016 में उरी के आतंकी हमले के प्रत्युत्तर में भारतीय सेना ने LOC पार कर आतंकियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं के खेमे में तांडव मचाया था। अब अजीत डोभाल ने ऋषिकेश की पवित्र भूमि से चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि भारत अपनी आक्रामक रक्षा नीति को छुपकर नहीं, अपितु छाती ठोककर लागू करेगा।

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