इस बार दिलचस्प होगा गुजरात चुनाव, AAP की एंट्री ने बिगाड़े कई समीकरण

अहमदाबाद(Gujrat). निर्वाचन आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी हैं। इसी के साथ राज्य की राजनीतिक पार्टियों में चुनावी सुगबुगाहट शुरू हो गयी हैं। गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी की एंट्री होने के साथ ही वहां का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो गुजरात चुनाव में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने के असार हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों ने गुजरात चुनाव में अपनी ताकत झोंक दी है।

राज्य में आम आदमी पार्टी की एन्ट्री के साथ ही राजनीतिक पंडितों ने जहां मंथन शुरू किया है, वहीं इस बार भाजपा, कांग्रेस और आप के साथ त्रिकोणीय जंग के आसार हैं। गुजरात में 1995 से ही भाजपा का एक छत्र शासन रहा हैं। राज्य की स्थापना 1960 में होने के बाद से 35 वर्षों तक राज्य में कांग्रेस का शासन था। राज्य के मुख्यमंत्री स्व.चिमन भाई पटेल के साथ सत्ता में भागीदारी करने के बाद भाजपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मोरबी में बाढ़ के बाद गुजरात के सीएम बने थे नरेंद्र मोदी 
मोरबी में आयी बाढ़ के समय भी वहां बीजेपी की सरकार थी और केशूभाई पटेल तत्कालीन सीएम थे। लेकिन उसके बाद शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें हटाकर नरेंद्र मोदी को गुजरात का सीएम बना दिया। विधानमंडल दल का नेता चुनने के बाद 2014 तक नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री चुन लिया गया। इस दौरान गुजरात मॉडल की बड़े पैमाने पर चर्चा रही।

आम आदमी पार्टी की धमाकेदार एंट्री 
गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार आम-आदमी पार्टी ने भी चुनावी दस्तक दी हैं। पार्टी ने गुजरात के सूरत महानगर पालिका में अपने प्रत्याशियों को विजय दिलाकर वहां की सत्ता में सेंध जरूर लगाया था। गुजरात चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का गुजरात दौरा भी बढ़ गया था। गुजरात फतह करने के लिए बीजेपी कांग्रेस और आप तीनों ही पार्टियों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। इस त्रिकोणीय चुनावी जंग में जीत का सेहरा किस पार्टी के सिर बंधेगा, राजनीतिक पंडितों ने गणना शुरू कर दी है।

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