ड्रैगन से टक्कर लेने की भारत ने की पूरी तैयारी, आधुनिक हथियारों से लैस होगी भारतीय सेना

नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच लद्दाख के एलएसी पर इस साल बढ़ते जा रहे तनाव के बीच भारतीय सेना ने खुद को मजबूत करने के लिए हथियारों की खरीद शुरू कर दी। दरअसल पिछले एक दशक में सेना अब नई असॉल्ट राइफलें, शार्ट-क्वार्टर बैटल कार्बाइन और लाइट मशीन गन के लिए अपने लम्बे रोडमैप के साथ मजबूती से आगे बढ़ रही है। 12 लाख से अधिक पैदल सैनिकों की मजबूत सेना के लिए बुनियादी हथियारों की आवश्यकता कहीं ज्यादा है, जो हम अक्सर हॉवित्जर, टैंक, मिसाइल, हेलीकॉप्टर जैसी चीजों को हासिल करने की दौड़ में भूल जाते हैं।

दरअसल 380 से अधिक पैदल सेना और 63 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन को लगभग 9.5 लाख असॉल्ट राइफल, 4.6 लाख सीक्यूबी कार्बाइन और 57,000 से अधिक लाइट मशीन गन (LMG) की आवश्यकता होती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एक महत्वपूर्ण आवश्यकता के रूप में विदेश से कुछ इमरजेंसी हथियारों की खरीद पहले से ही चल रही है। वहीं आवश्यकताओं के रूप में विदेशी सहयोग के साथ `मेक इन इंडिया’ के तहत इसे पूरा किया जाएगा।

अमेरिका की एसआईजी सॉर असॉल्ट राइफलें शामिल
चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच अमेरिका से 72,000 एसआईजी सॉर असॉल्ट राइफल के दूसरे लॉट के लिए अनुबंध दिसंबर तक निर्धारित किया जाना है। वहीं सेना ने पहले ही 72,400 एसआईजी सॉर राइफलें शामिल कर ली हैं, जो कि 647 करोड़ रुपये के फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (FTP) सौदे के तहत फ्रंटलाइन सैनिकों के लिए 500-मीटर की ‘किल’ रेंज वाली 7.62×51 मिमी कैलिबर की बंदूकें हैं।

एके-203 राइफल बनने की जल्द हो शुरूआत
इसके साथ ही सेना चाहती है कि अपने रूसी सहयोग के साथ उत्तर प्रदेश के कोरवा आयुध कारखाने में सात लाख कलाश्निकोव एके-203 राइफल बनाने की रुकी हुई मेक इन इंडिया ’परियोजना को जल्द से जल्द टेक ऑफ किया जाए। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक एसआईजी सॉर असॉल्ट और एके-203 राइफलें हमारी ऑपरेशन की आवश्यकताओं को पूरा करती है।

आधुनिक हथियारों जुगत तेज

16,479 इजरायली नेगेव 7.62X51 मिमी एलएमजी की डिलीवरी इस साल मार्च में शुरू हुई है जो 880 करोड़ रुपये की डील के तहत जनवरी से शुरू होगी। पांच विदेशी कंपनियों ने बाद में बाकी एलएमजी के निर्माण के लिए पहले ही इस परियोजना के लिए शॉर्टलिस्ट किया है, जिसका टेस्ट अगले साल की शुरुआत में होगा। वहीं भारत में 4.6 लाख CQB कार्बाइन बनाने के लिए RFP भी अगले साल की शुरुआत में जारी किया जाएगा। यूएई फर्म काराकल से 93,895 ऐसे कार्बाइन खरीदने के लिए पहले की एफ़टीपी खरीद के बाद यह हाल ही में हटा दिया गया था। काराकल सहित चार से पांच विदेशी कंपनियों ने इसके लिए दिलचस्पी व्यक्त की है। वे यहां ओएफबी या प्राइवेट कंपनियों के साथ गठजोड़ कर सकते हैं।

बता दें कि सेना ने पहली बार 2005 में नई असॉल्ट राइफलें और CQB कार्बाइन वापस मंगाई थी, जबकि 2009 में LMGs के लिए मामला शुरू किया गया था। लेकिन लंबे समय से तैयार खरीद परियोजनाओं को बार-बार भ्रष्टाचार के आरोपों या अवास्तविक तकनीकी मानकों के साथ-साथ कमी की वजह से दोहराया गया था।

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