पिता ड्राइवर, बेटी पैरालिंपिक्स में क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली ताइक्वांडो खिलाड़ी बन गई

अरुणा तंवर ने टोक्यो पैरालिंपिक्स के लिए क्वालीफाई कर इतिहास रच दिया है. ऐसा करने वाली वो भारत की पहली ताइक्वांडो खिलाड़ी हैं. अरुणा ने दिव्यांग होते हुए भी जिस तरह से हौसलों की उड़ान भरी वो समाज के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. उन्हें वाइल्ड कार्ड के जरिए आगामी पैरालिंपिक्स में एंट्री मिली है. हरियाणा में भिवानी के दीनोद गांव की रहने वाली अरुणा एक बेहद आम परिवार से आती हैं.

उनके पिता पेशे से एक ड्राइवर थे और कैमिकल फैक्ट्री में काम करते थे. उन्होंने आर्थिक तंगी झेलते हुए अपनी बेटी को बड़ा किया. बेटी ने भी पिता को निराश नहीं किया और उनका नाम रौशन कर दिया. भारत की ये बेटी जिंदगी को अपने तरीके से जीने में विश्वास रखती है. बचपन से ही वो मार्शल आर्ट की बहुत बड़ी प्रशंसक रही हैं. शुरुआत में वो सामान्य वर्ग में खेल कर आगे बढ़ना चाहती थीं. 

मगर, वहां मन के मुताबिक सफलता न मिलने के कारण उन्होंने पैरा-ताइक्वांडो में भाग लेना शुरू कर दिया. उनके लिए यह सब आसान नहीं था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी. परिणाम स्वरूप अरुणा तंवर को आगे सफलता मिलती चली गई. इसी क्रम में अब आगामी टोक्यो पैरालम्पिक के लिए क्वालीफाई कर उन्होंने अपने परिवार के साथ-साथ भारत का नाम भी रौशन कर दिया है.

आज जब अरुणा टोक्यो पैरालिंपिक्स के तैयार हैं, तब उनके पिता को उम्मीद है उनकी बेटी देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएगी. टोक्यो पैरालम्पिक के लिए अरुणा तंवर को शुभकामनाएं.

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