राजधानी में सिस्टम से खिलवाड़ : लखनऊ के अस्पतालों में छापेमारी, न डॉक्टर न सुविधाएं, OT के फ्रिज में मिलीं बीयर

लखनऊ में सोमवार को जिला प्रशासन अस्पतालो में छापेमारी करता देखा गया।शासन के निर्देश पर डीएम अभिषेक प्रकाश ने करीब 2 दर्जन अस्पतालों में प्रशासनिक टीमों को औचक निरक्षण के निर्देश दिए थे।इस दौरान टीम को एक निजी अस्पताल के ओटी वार्ड से फ्रिज में रखी बीयर बरामद हुई।इसके अलावा कई तरह की बड़ी लापरवाही भी मौके पर निरक्षण के दौरान देखने को मिली।

6 टीमों का गठन करके छापेमारी की कार्यवाही को दिया अंजाम –

लखनऊ जिलाधिकारी ने मैजिस्ट्रेट और उप जिलाधिकारी व चिकित्सीय अधिकारी के नेतृत्व में 6 टीम का गठन करके शहर के विभिन्न अस्पतालों में छापेमारी की कार्यवाही को अंजाम दिया।इस दौरान कई अस्पतालों में गम्भीर खामियां मिलीं।एक अस्पताल की ओटी में रखें फ्रिज में बीयर की बोतल लगी मिलीं, जिस पर जिलाधिकारी ने कड़ी कार्रवाई की संस्तुति करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी को तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं।

बिना लाइसेंस के चल रहे अस्पताल –

डिप्टी कलेक्टर प्रज्ञा पाण्डेय व डॉ. दिलीप भार्गव ने कुल 4 अस्पतालों का निरीक्षण किया।उस दौरान लक्ष्य कैंसर हाॅस्पिटल पहुंची टीम ने पाया कि अस्पताल का लाइसेन्स 30 अप्रैल 2021 के बाद नवीनीकरण ही नहीं हुआ है। इस अस्पताल में 20 बेड की स्वीकृति थी, जब कि इसके सापेक्ष जांच में 31 बेड पाए गए।अस्पताल की ओटी और वार्ड में साफ-सफाई संतोषजनक नहीं पाई गई। जांच दल ने अस्पताल के रिकार्ड भी खंगाले, जिसमें पाया गया कि मरीज जमीऊरहमान की 7 जुलाई को कीमोथेरेपी के लिए फाइल बनी थी, लेकिन न तो इलाज हुआ और न ही डिस्चार्ज का समय दर्ज था।इसी तरह रमेश चन्द्रा नाम के मरीज की 1 जून को भर्ती किए जाने की फाइल थी, लेकिन इनके डिस्चार्ज का विवरण ही नहीं था।

कॉरिडोर में लगे मिले बेड –

जांच में पाया गया कि अस्पताल प्रबन्धन द्वारा मरीज देखने के लिए डॉ. समीर बेग को ऑन काॅल बुलाया जाता है जबकि अस्पताल के पंजीकरण दस्तावेजों में डॉ. समीर बेग का कोई जिक्र नहीं है।इसके बाद टीम ने काकोरी हाॅस्पिटल का निरीक्षण किया।यहां न तो डाक्टर मौजूद थे और न ही कोई चिकित्सीय सुविधाएं दिखी। इलाज के नाम पर केवल दो बेड ही पाये गए।अस्पताल में मौजूद स्टाॅफ रजिस्ट्रेशन से सम्बन्धित कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाया।इसके बाद टीम हिन्द हॉस्पिटल पहुंची, जहां सूचना देने के बाद भी कोई डाक्टर नहीं उपस्थित हुआ।अस्पताल में कुल 12 बेड थे, जिनमें से 4 बेड काॅरिडोर में पड़े पाये गये।अस्पताल के डिस्प्ले बोर्ड पर आर्थोपैडिक सर्जरी आदि सुविधाओं का जिक्र था, लेकिन इससे सम्बन्धित डाॅक्टर और सुविधाएं मौजूद नहीं पाएं गए।टीम के पूछने पर स्टाॅफ ने मो. आरिफ (आयुष डाक्टर) से सम्पर्क किया, लेकिन इनके द्वारा कोई पंजीकरण दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका।

बिना लाइसेंस मिले मरीजो को एडमिट करना शुरु –

इसके बाद जांच दल ने नए खुले साधना हाॅस्पिटल का निरीक्षण किया।पता चला कि हाॅस्पिटल के पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है, जिसकी स्वीकृति अभी प्राप्त नहीं हुई है।बावजूद इसके अस्पताल प्रबन्धन द्वारा गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।यहां भी डाक्टरों से सम्पर्क नहीं हो पाया।

अधूरे बने चिकित्सालयों में चल रहा ट्रामा सेंटर –

डिप्टी कलेक्टर गोविन्द मौर्य व डॉ. आरबी सिंह के नेतृत्व में टीम ने चन्द्रा हाॅस्पिटल का निरीक्षण किया।यहां स्टाॅफ द्वारा एम्बुलेन्स फिटनेस सर्टीफिकेट एवं बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेन्ट सर्टीफिकेट नहीं प्रस्तुत किया जा सका। उक्त अस्पताल का ब्लड बैंक से भी कोई कॉर्डिनेशन नहीं दिखा।साथ ही अस्पताल परिसर में स्थित मेडिकल स्टोर का लाइसेन्स नवीनीकरण नहीं हुआ।अस्पताल में कोविड हेल्प डेस्क, डॉक्टर चेन्ज रूम और पोस्ट ऑपरेशन रूम भी नहीं थे।इस रूट पर स्थित हिम सिटी हाॅस्पिटल में भी आपातकालीन चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिली।यहां ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर (बीयूएमएस) थे, जबकि सर्जन, आर्थोपैडिक सर्जन, एनिसथिसिया के डॉक्टर मौजूद नहीं थे।अस्पताल के पास फायर एनओसी और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेन्ट का सर्टीफिकेट नहीं था।इसके अलावा कोविड हेल्प डेस्क, इमरजेन्सी यूनिट, प्री एवं पोस्ट ऑपरेशन रूम भी नहीं था।

अस्पतालों में डॉक्टर नदारद –

अपर नगर मैजिस्ट्रेट-द्वितीय किंशुक श्रीवास्तव व डॉ. मिलिन्द के नेतृत्व में टीम ने पांच अस्पतालों का निरीक्षण किया गया।मार्डन हास्पिटल मैटरनिटी एण्ड ट्रामा सेन्टर पहुंची टीम को मौके पर कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं मिला।अस्पताल में आईसीयू बेड की संख्या 3 थी, किन्तु एक्स-रे व आपालकालीन चिकित्सा से सम्बन्धित सुविधाएं नहीं थी।अस्पताल में मौजूद स्टाॅफ नर्स के पास नर्सिग की डिग्री तक नहीं थी।रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट के बार में पूछने पर बताया गया कि नवीनीकरण के लिए आवेदन किया गया है।न्यू एसियन हाॅस्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर में भी कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं मिला।यहां अस्पताल के मालिक प्रेम कुमार वर्मा मरीजों का इलाज करते हुए पाए गए, जबकि उनके पास बीएससी की डिग्री है।यहां दूसरे डॉक्टर एनके शुक्ला द्वारा खुद को बीएएमएस डॉक्टर बताया गया, लेकिन न वह डिग्री दिखा सके और न ही सम्बन्धित यूनिवर्सिटी/इन्स्टीट्यूट का नाम बता सके।अस्पताल में फार्मेसी थी, लेकिन उसका लाइसेन्स नहीं था और न ही फॉर्मासिस्ट मौजूद था।एएनएम का कोर्स कर रहे छात्र अस्पताल में नर्सिग की ड्यूटी करते हुए पाये गये।

स्टूडेंट्स को बनाया मेडिकल सपोर्ट स्टॉफ

इसी तरह मेरिटस हाॅस्पिटल में भी एएनएम और जीएनएम का कोर्स कर रहे स्टूडेंट्स नर्सिंग और ओटी टेक्निशियन की ड्यूटी करते पाये गये।इस अस्पताल के लाइसेन्स की वैद्यता भी समाप्त पायी गयी। इसके बाद टीम ने लखनऊ तुलसी एण्ड ट्रामा सेन्टर का निरीक्षण किया। यहां आईसीयू के चार बेड थे, लेकिन ईएमओ व अन्य चिकित्सक उपस्थित नहीं मिले।वहीं अस्पताल के ओटी में रखी फ्रिज में बीयर की बोतले पाई गई।अस्पताल स्टाॅफ द्वारा बिल पंजिका प्रस्तुत नहीं की जा सकी और इसके लाइसेन्स की वैद्यता भी समाप्त पायी पाई।वहीं मेडिप्लस एण्ड ट्रामा सेन्टर के निरीक्षण में भी खामियां पायी गईं।अस्पताल के लाइसेन्स सर्टीफिकेट की वैद्यता भी समाप्त हो चुकी थी।यहां ईएमओ के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं मिला।स्टाॅफ द्वारा फार्मेसी का लाइसेन्स भी नहीं दिखाया जा सका।

बिना रेजिस्ट्रेशन के चलते मिले अस्पताल –

उप जिलाधिकारी बीकेटी पल्लवी मिश्रा व डॉ. जेपी सिंह के नेतृत्व में टीम ने 6 अस्पतालों का निरीक्षण किया गया, जिसमें टीमें पारस हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर, बीकेटी हाॅस्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर, चन्द्रिका देवी हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर, सिंह हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर, होलीकेयर हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर, अपेक्स हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर पहुंची।इसमें होली केयर हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर में कोई डाक्टर मौके पर उपस्थित नहीं मिला।यहां आक्सीजन की उपलब्धता के सम्बन्ध में स्टाॅफ द्वारा जानकारी नहीं दी जा सकी। अपेक्स हाॅस्पिटल एवं ट्रामा सेन्टर और बीकेटी हाॅस्पिटल के रजिस्ट्रेशन की वैद्यता समाप्त पायी गयी. इसमें चन्द्रिका देवी अस्पताल को छोड़कर अन्य सभी अस्पतालों में कोविड हेल्प डेस्क संचालित नहीं थे.

बिना डॉक्यूमेंट प्रूफ के संचालित हो रहे अस्पताल –

अपर नगर मैजिस्ट्रेट, सूर्यकान्त त्रिपाठी व डॉ. के.डी मिश्रा के नेतृत्व में टीम ने कुल 12 अस्पतालों का निरीक्षण किया।इस दौरान सैफालिया आई केयर एण्ड हाॅस्पिटल पहुंची।टीम को मौके पर कोई चिकित्सक नहीं मिला।उक्त अस्पताल के पंजीकरण की वैद्यता समाप्त हो चुकी थी।इसी तरह सम्राट हाॅस्पिटल एण्ड ट्रामा सेन्टर में भी कोई डॉक्टर नहीं मिला।अस्पताल के प्रबन्धक, अजीत रावत द्वारा कोई भी पंजीकरण दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका।इसके अलावा रमेश जन सेवार्थ हाॅस्पिटल में बुद्ववती नाम की एक ही मरीज भर्ती पायी गयी, जिसके इलाज के लिए योग्य डॉक्टर उपस्थित नहीं था।अस्पताल के पंजीकरण के सम्बन्ध में टीम को कोई संतोषजनक दस्तावेज नहीं दिखाया जा सका।इसी तरह अपर नगर मैजिस्ट्रेट शैलेन्द्र कुमार व डॉ. आरसी चैधरी के नेतृत्व में टीम ने कुल 7 अस्पतालों का निरीक्षण किया, जिसमें मेडविन हाॅस्पिटल में कई खामियां मिलीं, जिसको तत्काल बन्द करने के निर्देश दिए गए।

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