रोम ओलंपिक में पदक से चूके थे मिल्खा, 1962 एशियाई खेलों में फ्लइंग सिख ने जीते दो स्वर्ण पदक

पूर्व दिग्गज धावक मिल्खा सिंह का शुक्रवार रात 91 साल की उम्र में निधन हो गया है। फ्लाइंग सिंह के नाम से मशहूर मिल्खा 19 मई को कोरोना संक्रमित पाए गए थे और इस महीने की शुरुआत में उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। हालांकि, उसके बाद से उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सका।खेल जगत में नाम बनाने वाले मिल्खा की उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं। 

रोम ओलंपिक में पदक से चूके थे मिल्खा

मिल्खा के ओलंपिक सफर की शुरुआत 1956 में मेलबर्न ओलंपिक से हुई, जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुभव की कमी के चलते वह सफल नहीं हो सके।मिल्खा ने 1960 में हुए ओलंपिक खेल में अपने प्रदर्शन में सुधार किया। वह रोम ओलंपिक में 400 मीटर की फाइनल दौड़ में 45.6 सेकेंड्स के साथ चौथे स्थान पर रहे और पदक से चूक गए। वहीं दक्षिण अफ्रीकी धावक मैल्कम स्पेंस ने 45.5 सेकेंड्स का समय लेकर ओलंपिक का कांसा जीत लिया था।जानकारी

रोम ओलंपिक में मिल्खा ने बनाया था नेशनल रिकॉर्ड

ओलंपिक पदक से चूकने के बावजूद, मिल्खा ने नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया, जो कि 38 सालों तक उनके नाम रहा और 1998 में परमजीत सिंह ने इसे तोड़ा।एशियाई खेल

1958 एशियाई खेलों में जीते दो स्वर्ण

मेलबर्न ओलंपिक की असफलता के बाद मिल्खा ने एशियाई खेलों में दमदार वापसी की।उन्होंने 1958 में हुए टोक्यो एशियाई खेलों में 200 और 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते।इसके बाद उन्होंने 1958 के ‘ब्रिटिश एम्पायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स’ में 46.6 सेकेंड्स के समय के साथ 400 मीटर (उस समय 440 यार्ड) प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। वह स्वतंत्र भारत से राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक विजेता बने थे।एशियाई खेल

1962 एशियाई खेलों में मिल्खा ने जीते दो स्वर्ण

1962 में जकार्ता में आयोजित हुए एशियाई खेलों में मिल्खा ने अपना दबदबा बरकरार रखा। उन्होंने 400 मीटर और 4 x 400 मीटर रिले में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।उन्होंने टोक्यो में 1964 के ओलंपिक खेलों में भाग लिया, जहां वे 4 x 400 मीटर रिले में हीट स्टेज के बाद ही एलिमिनेट हो गए थे। उस रेस में मिल्खा के अलावा भारतीय रिले टीम में माखन सिंह, अमृत पाल और अजमेर सिंह शामिल थे।
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नेशनल गेम्स में माखन सिंह से हार गए थे मिल्खा

1962 में मिल्खा सिंह नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक से चूक गए। उन्हें कलकत्ता में हुए नेशनल गेम्स में माखन सिंह ने हरा दिया। वह मिल्खा सिंह को हराने वाले इकलौते भारतीय धावक थे।सम्मान

पद्म श्री से सम्मानित हो चुके हैं मिल्खा

मिल्खा ने निर्मल सैनी से शादी की, जो कि पूर्व भारतीय वॉलीबाल टीम की कप्तान रह चुकी हैं। इसी हफ्ते निर्मल का भी निधन हो गया। उनके बेटे जीव मिल्खा गोल्फर हैं।साल 1959 में, मिल्खा सिंह को खेल की दुनिया में उनकी उपलब्धियों के लिए देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।2001 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था।

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