शूटिंग में हुआ बड़ा बदलाव, निशानेबाजी के प्रशिक्षकों को मिली अग्निपरीक्षा देकर सोना तपाने की सौगात

वर्ष 2021 में खेल के क्षेत्र खासतौर से शूटिंग खेल में द्रोणाचार्यों यानी निशानेबाजी के प्रशिक्षकों को भी अग्निपरीक्षा देकर सोना तपाने की सौगात मिली। शूटिंग के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा व खास फैसला 45 वर्ष के ऊपर के निशानेबाजों के लिए किया गया। नेशनल राइफल एसोसिएशन आफ इंडिया की ओर से देशभर के वेटरन्स निशानेबाजों को शानदार सौगात दी गई। इसके तहत 45 वर्ष आयु पूरी कर चुके निशानेबाज मास्टर्स शूटिंग में प्रतिभाग कर सकेंगे। इस नए बदलाव से पहले पुरानी व्यवस्था के तहत 60 वर्ष उम्र पूरी करने के बाद ही मास्टर्स शूटिंग में प्रतिभाग कर सकते थे। इतने लंबे समय तक शूटिंग में पदक की दौड़ से बाहर रहने के चलते प्रदर्शन पर भी काफी प्रभाव पड़ता था। इस नए बदलाव से जिला, प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के तमाम मास्टर शूटर्स के लिए पदक जीतने के लिए दरवाजे खुल गए। जिले में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग रेफरी, यूपी शूटिंग टीम मैनेजर व निशानेबाज वेदप्रकाश शर्मा भी अब देश के लिए मास्टर्स शूटिंग में पदक जीतने की रेस में शामिल हो गए। इससे देश के पदक जीतने में अलीगढ़ की दावेदारी का रास्ता भी खुल गया है।

बेटियों के लिए भी निशानेबाजी ने दी सौगात

शूटिंग खेल में ही दूसरा बड़ा बदलाव भी वर्ष 2021 में सामने आया। ये बदलाव निशानेबाज बेटियों के लिए काफी अहम रहा है। नेशनल राइफल एसोसिएशन आफ इंडिया (एनआरएआइ) की ओर से शूङ्क्षटग खेल के इतिहास में पहली बार बेटियों के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। इसके तहत पूरे देशभर में निशानेबाज बेटियों के लिए जूनियर वल्र्ड कप में जाने की राह खुल गई। यह राह 50 मीटर फ्री पिस्टल इवेंट में जाने के लिए खुली है। इस फैसले से पहले निशानेबाज बेटियों के लिए इस इवेंट में खेलने की अनुमति ही नहीं थी। इस इवेंट में केवल बालक व पुरुष निशानेबाज ही एकतरफा तौर से प्रतिभाग करते रहे हैं। मगर अब बेटियां भी 50 मीटर फ्री पिस्टल इवेंट में अपनी निशानेबाजी का कौशल दिखाने के लिए स्वतंत्र हो गई हैं। अब जो एनआरएआइ का नए वर्ष का शूङ्क्षटग कैलेंडर जारी किया जाएगा, उसमें बेटियों के लिए उक्त इवेंट में प्रतिभाग करने का मौका रहेगा।

खास बात तो ये है कि इस इवेंट में प्रतिभाग करने की अनुमति न होने के बावजूद बेटियों ने इसका प्रशिक्षण ले रखा है। यानी अब प्रतियोगिता होने पर सीधे प्रतिभाग ही नहीं बल्कि पदक की आस भी निशानेबाज बेटियां जगाएंगी।

अलीगढ़ से निकली खेलो इंडिया की राह

वर्ष 2021 में एथलेटिक्स खेल में केंद्र सरकार की खेलों को बढ़ाने के लिए चलाई गई योजना खेलो इंडिया में प्रतिभाग करने की राह अलीगढ़ से ही निकली। पहली बार मंडल का इकलौते एथलीट जो खेलो इंडिया कंपटीशन में खेलने के लिए चयनित हुए, वो कंचन नगर बाइपास निवासी एथलीट नरेंद्र प्रताप ङ्क्षसह रहे। उन्होंने अपना चयन ही इस बड़े टूर्नामेंट के लिए नहीं कराया, बल्कि इसमें रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज कर स्वर्ण पदक भी जीते। इसके चलते भारत सरकार ने इनको पांच लाख रुपये और ओलंपिक स्तर के मुफ्त प्रशिक्षण की सौगात भी दी। पांच किलोमीटर दौड़ व 10 किलोमीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत खेलो इंडिया कंपटीशन में विजेता बनने का मुकाम हासिल किया। नरेंद्र ने पांच किलोमीटर दौड़ 14.18 मिनट में पूरी कर नया रिकार्ड बनाया। पहले ये रिकार्ड वाराणसी के सुरेश पटेल के नाम था, जिन्होंने 14.20 मिनट में दौड़ पूरी की थी। इनकी सफलता की कहानी यहीं नहीं रुकी। 10 किलोमीटर दौड़ को 29.52 मिनट में पूरा कर स्वर्ण जीता व रिकार्ड कायम किया।

एक लाख रुपये जीतने वाले अमित पहले एथलीट

नेशनल एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने पर एथलीट को एक लाख रुपये राशि का इनाम देने की घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की थी। मगर इस पर कब्जा जमाने का पहला कदम भी अलीगढ़ के एथलीट ने ही बढ़ाया। होली चौक क्वार्सी निवासी व 2000 मीटर रेस के एथलीट अमित चौधरी ने 36वीं नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। हालांकि उनकी राह आसान नहीं थी। मगर जब कोई एथलीट पूरी ईमानदारी व मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है तो सफलता कदम चूमती ही है। लखनऊ स्पोट््र्स हास्टल के एथलीट शाहरुख खान ने इस चैंपियनशिप में 2000 मीटर की दौड़ पूरी कर पहला स्थान कब्जाया। अमित चौधरी ने इस रेस में दूसरा स्थान हासिल किया। पहले व दूसरे पायदान यानी स्वर्ण व रजत पदक जीतने का अंतर बहुत ही मामूली सा था। मगर समय की रेस में एक-एक सेकेंड मायने रखता है। मगर अमित ने दौड़ ईमानदारी से पूरी की थी, जिसका फल उनको बाद में मिला। लखनऊ के शाहरुख खान को ओवर एज में खेलने का दोषी पाया गया। यानी उनकी उम्र ज्यादा थी और वो अंडर-16 आयु वर्ग में अमित के मुकाबले में दौड़ रहे थे। उन पर कार्रवाई करते हुए दूसरे स्थान पर काबिज अमित को स्वर्ण विजेता घोषित किया गया। इस तरह अमित ने एक लाख रुपये की राशि पर भी कब्जा किया और मंडल के पहले एथलीट बन गए।

रोबोट के साथ टेबल टेनिस खेलने की सौगात

डीएस बाल मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टेबल टेनिस सीखने के लिए खिलाडिय़ों के सामने अब दूसरे खिलाड़ी की जरूरत नहीं रहेगी। अब यहां रोबोट मशीन को स्थापित कर दिया गया है। जिले ही नहीं बल्कि मंडलभर में एएमयू को छोड़ दें तो किसी भी टेबल टेनिस सेंटर में रोबोट मशीन उपलब्ध नहीं है। एएमयू में केवल एएमयू के ही विद्यार्थी व खिलाड़ी टेबल टेनिस सीख सकते हैं। मगर जिले के टेबल टेनिस खिलाडिय़ों के लिए डीएस बाल मंदिर स्कूल में नई व बड़ी सौगात दी गई है। प्रबंध समिति के प्रयासों से टीटी कोच व जिला टीटी एसोसिएशन के सचिव सर्वेश कुमार ने यह व्यवस्था स्कूल में कराई है। करीब 1.50 लाख रुपये की लागत से रोबोटिक्स मशीन लगाई गई है। वहीं 50 हजार रुपये की लागत की बेहतरीन टेबल भी उपलब्ध कराई गई है। यहां उत्कृष्ट प्रतिभाओं को मुफ्त में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की गई है।

खास-म-खास

  • – 30 अक्टूबर को एथलीट अमित चौधरी नेशनल में गोल्ड जीतकर एक लाख रुपये जीतने वाले मंडल के पहले एथलीट बने।
  • – 15 दिसंबर को 45 वर्ष पूरे करने के बाद मास्टर्स शूङ्क्षटग में प्रतिभाग करने का मौका मिलने का फैसला।
  • – 20 दिसंबर को निशानेबाज बेटियों के लिए 50 मीटर फ्री पिस्टल में खेलने की अनुमति मिलने का फैसला।
  • – 23 अक्टूबर को डीएस बाल मंदिर स्कूल में रोबोट मशीन की स्थापना, इसके जरिए टेबल टेनिस प्रशिक्षण शुरू
  • – 28 फरवरी को एथलीट नरेंद्र प्रताप ङ्क्षसह के रूप में मिला पहला खेलो इंडिया कंपटीशन का पदक विजेता।

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