उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से भारी तबाही के बीच 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 170 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। मृतकों का आँकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र ने यह जानकारी दी है।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐलान किया है कि घटना में जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनके परिजनों को 4-4 लाख रुपए का मुआवजा राज्य सरकार देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय आपदा कोष से मृतकों के परिवार के लिए 2-2 लाख रुपए और गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार मुआवजे का ऐलान किया है।
16 बचाए गए
सीएम ने कहा कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, NDRF, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और पुलिस के जवान बचाव और राहत कार्य में जुटे हुए हैं। तपोवन स्थित जिन दो सुरंगों में मजदूर फँसे हुए हैं, वहाँ मुस्तैदी से बचाव कार्य चल रहा है। करीब 1 घंटे पहले तक ITBP के जवान रस्सी से सुरंग के अंदर करीब 150 मीटर तक पहुँच पाए थे। ये सुरंग करीब 250 मीटर लंबी है। अभी तक 16 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
आईटीबीपी के जनसंपर्क अधिकारी विवेक पांडे ने बताया, “अब हम दूसरी सुरंग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो कि सुरंग नंबर एक है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार यहाँ लगभग 30 लोग फँसे हुए हैं। हम रात में भी ऑपरेशन करेंगे। हमारी टीमें पहले से ही काम पर लगी हुई हैं और उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द ही बाहर निकाल लेंगे।”
सीएम ने कहा कि भारतीय सेना मौके पर पहुँच गई है। एनडीआरएफ की टीम देहरादून पहुँच गई है और चमोली के रूट पर है। डॉक्टरों की टीम भी वहाँ पर पहुँच गई है। इसके साथ ही उपकरणों के साथ 60 एसडीआरएफ कर्मियों की एक टीम मौके पर पहुँच गई है।
बचाव दल को लेकर देहरादून पहुँचा सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान
एनडीआरएफ के बचाव दल और हैवी उपकरण को लेकर देहरादून भारतीय वायु सेना का सुपर हरक्यूलिस परिवहन विमान पहुँचा गया है। उत्तराखंड के चमोली में रविवार (फरवरी 7, 2021) को ग्लेशियर टूटने के बाद मची तबाही को देखते हुए तीनों सेनाओं ने अपने-अपने स्तर पर मोर्चा सँभाल रखा है। सेना की टीम सुरंग में फँसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। वायुसेना ने अपने परिवहन विमानों से एनडीआरएफ टीमों को मौके पर पहुँचाया है।
पानी के बहाव में आई कमी
मुख्यमंत्री ने बताया, “ग्लेशियर फटने से वहाँ बन रहे बाँध को क्षति पहुँची है। मानव क्षति के बारे में अभी अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। पानी की तीव्रता चमोली तक आते-आते काफी कम हो गई है। पानी खतरे के निशान से नीचे अब हो गया है।”
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई है। चमोली जिले के रेणी गाँव के पास ग्लेशियर के टूटने से कई गाँव वालों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। यह ग्लेशियर धौली गंगा नदी के किनारे-किनारे बह रहा है। आपदा से निपटने या किसी जानकारी के लिए या किसी जगह की सूचना के लिए राज्य सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। 1070 या 9557444486 नंबर पर कॉल कर आप इस संबंध में सूचना ले या दे सकते हैं।
बाढ़ आने के समय 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा प्रोजेक्ट और NTPC की 480 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट में करीब 176 मजदूर काम कर रहे थे। इनके अलावा, ऋषिगंगा परियोजना में ड्यूटी कर रहे दो पुलिसकर्मी भी लापता हैं। बाढ़ से दोनों हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है।