मिर्जापुर : मझवा विधानसभा क्षेत्र के दाती गांव में मतदाताओं ने किया बहिष्कार

सेक्टर मजिस्ट्रेट से लेकर एएसपी एडीएम तक मनाने में रहे असफल 

“रोड नहीं-पानी नहीं, तो दाती में मतदान नहीं” के लगे नारे 

विंडमफॉल और खरंजा फॉल के उबड़ खाबड़ रास्तों से आते जाते हैं 8 हजार ग्रामीण

पानी लेने के लिए लगानी पड़ती है लंबी कतार 

आखिर आज तक क्यों उपेक्षित रहा दांती?

मिर्जापुर। 

    मझवा विधानसभा क्षेत्र के पहाड़ी ब्लाक का दाती गांव जनपद ही नहीं पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन गया है। गांव के मतदाताओं ने मताधिकार का ऐसा बहिष्कार किया, कि प्रत्याशियों से लेकर जिला प्रशासन तक को गांव में मान मैनअल के लिए पहुंचना पड़ा, लेकिन गांव की पानी और सड़क की समस्या मतदान और अधिकारियों पर भारी पड़ती देखी गई। आपको बता दें कि मझवा विधानसभा के इस ग्राम पंचायत में आज तक पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका है और ना ही पेयजल एवं सिंचाई के लिए व्यापक प्रबंध हो सका है। हालांकि, यह विधानसभा एवं ब्लॉक सिंचाई मंत्री पंडित लोकपति त्रिपाठी का क्षेत्र माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद इस गांव में पेयजल सिंचाई की व्यवस्था मुकम्मल नहीं हो सकी थी। 

और तो और वर्ष 2002 में पंडित लोकपति त्रिपाठी को अच्छे खासे मतों से हराकर बहुजन समाज पार्टी से विधायक के रूप में लगातार तीन बार नेतृत्व करने वाले और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के भदोही के सांसद डॉ रमेश चंद्र बिंद विधायक के रुप में जनता के बीच रहे। इसके बाद वर्ष 2017 में पूर्व विधायक स्वर्गीय रामचंद्र मौर्य की बहू को मझवा विधानसभा की जनता ने विधायक चुना, लेकिन भाजपा विधायक सूचीस्मिता मौर्य भी दाती गांव की समस्याओं को हल नहीं कर सकी। शायद यही वजह है कि आज यहां के मतदाताओं को लोकतंत्र के महान पर्व, जिसको की भारत निर्वाचन आयोग महापर्व के रूप में मना रहा है। तमाम सामाजिक संगठन इसे उत्सव के रूप में मना रहे हैं, तो वह दाती गांव के लोगों के लिए लोकतंत्र का महापर्व एक काला दिवस बन कर रह गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पक्की सड़क का निर्माण होने के लिए 3 से 4 किलोमीटर का क्षेत्र वन विभाग के क्षेत्र में पड़ रहा है, जिसकी वजह से पक्की सड़क की सुविधा आजादी के 73 वर्षों बाद भी यहां के लोगों को मयस्सर नहीं हो सका है और तो और कहा जाता है कि जहां जीवन है, 

लेकिन जब जाना हो तो लोगों का जीवन कैसा यहां के लोग गर्मी के महीनों में पानी के लिए घंटो घंटो लाइन लगाकर पानी भरते हैं। शायद यही वजह है कि लोकतंत्र के महान पर्व पर उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा और वह सुबह 7 बजे ही गांव की पूरी जनसंख्या विद्यालय के बूथ पर पहुंच कर मतदान बहिष्कार करना शुरू कर दिया। विकास खंड पहाड़ी में पढ़ने वाले इस ग्राम पंचायत में कुल 3 बूथ बनाए गए हैं। तीन बूथ संख्या 383, 384, 385 में मतदाताओं की संख्या 2488 बताई गई है, हालांकि गांव की आबादी 8 हज़ार के लगभग बतायी गयी है। गांव में मतदान बहिष्कार को मतदान में बदलने के लिए प्रत्याशी भी कम प्रयास नहीं किए।  यहां पर पहुंचे राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने भी समझाने का प्रयास किया, लेकिन सत्ता पक्ष के प्रत्याशी को खरी-खोटी सुनने को मिली, तो वही विपक्ष के प्रत्याशी को भी पूर्व में आप की सरकार थी, तो आप कहां थे और आपके सरकार के लोग कहां थे, यह सुनने को मिला। मतदाताओं को रिझाने और मनाने के लिए उप जिलाधिकारी मड़िहान, जिला पंचायत राज अधिकारी, अपर जिलाधिकारी, एएसपी भी मौके पर दल बल के साथ पहुंचे, लेकिन उनकी भी ग्रामीणों ने नहीं सुनी। दोपहर 2 बजे तक एक भी मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया। मामला वन विभाग से जुड़ा होने के कारण प्रभागीय वन अधिकारी पीएस त्रिपाठी भी दाती गांव पहुंचे और उन्होंने भी ग्रामीणों को समझाया बुझाया कि हम प्रयास करेंगे कि भविष्य में वन विभाग से यहां सड़क निर्माण के लिए अनुमति दिला दें लेकिन इसके बाद भी गांव के लोग मानने को तैयार नहीं हुए।

शाम 5 बजकर 20 मिनट तक दाँती में कुल 2488 मतों में से मात्र 16 वोट पड़ा, जिसमे आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ती, सहायक आंगनबाड़ी, फारेस्ट वाचर व शिक्षामित्र शामिल है।

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