मुख्यमंत्री योगी श्रावस्ती से करेंगे स्कूल चलो अभियान की शुरुआत
लखनऊ। स्कूली शिक्षा के प्रति बच्चों और अभिभावकों को जागरूक बनाने के लिए सोमवार से स्कूल चलो अभियान की शुरुआत हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रावस्ती से इस प्रदेशव्यापी अभियान की औपचारिक शुरुआत करेंगे। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुसार यह वृहद अभियान पूरे उत्तर प्रदेश में व्यापक तौर पर चलाया जाएगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण बच्चों के दो साल शैक्षिक स्तर पर कमजोर रहे जिसे आगे गति देने के लिए यह अभियान चलाया जाएगा।
स्कूल चलो अभियान के तहत कम साक्षरता वाले जिलों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री द्वारा की गई बैठकों में कहा गया है कि प्रदेश के सभी प्राइमरी स्कूलों को बेहतर सुविधाओं से लैस किया जाए। इसको ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री ने उच्चाधिकारियों की बैठक में निर्देश दिए थे कि सभी अध्यापक घर-घर जाकर अभिभावकों से मिलकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करें। स्कूल चलो अभियान के साथ सभी जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ा जाए। सभी विधायकगण एक-एक विद्यालय को गोद जरूर लें। इसके साथ ही अधिकारी भी स्कूलों को गोद लें।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिन जिलों की साक्षरता दर कम है, उन जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाय। वहां के विद्यालयों में वृहद स्तर पर अभियान चलाया जाए। स्कूल चलो अभियान की शुरुआत श्रावस्ती से की जा रही है, वहां की साक्षरता दर प्रदेश में सबसे कम है। इसके बाद बहराइच, बलरामपुर, बदायूं और रामपुर हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि ऑपरेशन कायाकल्प से बेसिक शिक्षा परिषद के सारे विद्यालयों को आच्छादित किया जाए। प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को सभी बुनियादी सुविधाओं से लैस किया जाए। इसके लिए निजी संस्थाओं, स्कूल के पुराने विद्यार्थियों को अभियान चलाकर जोड़ा जाए। स्कूलों के कायाकल्प के लिए सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिपांस्बिलिटी) की मदद ली जाए। इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा बेसिक शिक्षा से जुड़े हर विद्यालय में पेयजल, टॉयलेट, स्मार्ट क्लास और फर्नीचर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं। बच्चों की यूनिफॉर्म और जूते-मोजे की भी व्यवस्था करने का भी आदेश है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि शिक्षकों की तैनाती से लेकर बुनियादी सुविधाओं का समयबद्ध अभियान चलाया जाए। हर बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती हो। प्रदेश का कोई भी ऐसा स्कूल न हो जिसमें शिक्षकों की कमी के चलते पढ़ाई बाधित हो। शासन स्तर पर इसकी निगरानी की जाए और व्यवस्था की जाए।