गर्मियों में मूली की खेती से बहुत अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. क्योंकि इन दिनों शादी का सीजन चलता है, और ऐसे में मूली का उपयोग शादियों में सलाद के लिए बहुत अधिक किया जाता है. पिछले कुछ साल पहले muli ki kheti से कमाई बहुत कम हो पाती थी. जिससे बहुत से किसान अन्य फसलों की खेती के और अग्रसर होने लगे.
कारण की मुरई की खेती बहुत कम होने लगी. यहीं कारण है की मूली का मांग पुरे वर्ष बनी रहती है. वर्तमान में अन्य फसलों की तरह मूली के दाम भी बहुत महंगे होते हैं. ऐसे में किसान भाई अगर गर्मियों में मई महीने में करें मूली की खेती करते हैं तो बहुत ही कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
मूली की खेती कब करें
मूली एक ऐसी सब्जी है जिसकी खेती पुरे वर्ष की जाती है, लेकिन बारिश में पानी के नमी के कारण इनकी जड़ें सड़ने लगती हैं. इसकी खेती के लिए 15 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान बहुत अच्छी मणि जाती है. इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है. यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लग रहा है तो आगे बढ़ें.
मुली की खेती के लिए खाद
मूली की खेती करने से पहले किसान भाइयों को सबसे पहले खाद की उचित मात्रा का ख़ास ध्यान देना चाहिए. इसके लिए किसान भाइयों मूली की खेती के लिए खेत की अंतिम जुताई के समय लगभग 1 ट्राली गोबर की खाद या मुर्गियों की खाद, 100kg यूरिया, 60 किलो DAP तथा 40kg पोटाश प्रति एकड़ देना चाहिए.
हाइब्रिड मूली का बीज, उन्नत किस्में
मूली की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए हाइब्रिड मूली की खेती करनी चाहिए, क्योंकि हाइब्रिड मूली का बीज बोने से उनकी जड़ें दूध की तरह सफ़ेद, लम्बी तथा चमकदार होती हैं. अतः आपको बीज भंडार की दुकानों पर तमाम प्रकार के उन्नत किस्में मिल जाएँगी. अगर हम मूली की उन्नत किस्मों की बात करें तो पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, अर्का, कल्याणपुर सफ़ेद इत्यादि वरायटी के बीज मिल जायेंगे.
बुआई से पहले करें बीज शोधन
यदि मूली की खेती करने से पहले उनकी बीजों को शोधित करके खेतों में लगाया जाय तो 40% बीमारी तुरंत समाप्त हो जाती है. अतः किसान भाई को चाहिए की मूली के बीजों की बुआई करने से पहले बाविस्टिन नामक फफुन्द्नाशक रसायन से 100 ग्राम दवा 500 ग्राम बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए.
मूली लगाने की विधि
अगर जुलाई में मूली की खेती करते हैं तो इन दिनों मूली के बीजों की बुआई मेड़ पर नहीं की जाती है बल्कि इन दिनों छिटकवा विधि से बुआई करते है जैसे गेहूं की बुआई की जाती है. लेकिन यदि गर्मियों में मई महीने में मूली की खेती करते हैं तो इन दिनों मेड़ बनाकर एक-एक बीज की बुआई की जाती है.
मेड़ बनाने के लिए फरसा या फावड़ा का प्रयोग किया जाता है. जिस प्रकार आलू की बुआई के लिए मेड़ बनाई जाती है ठीक उसी प्रकार मूली के बीज की बुआई के लिए मेड़ बनाई जाती है.
मूली में खरपतवार नाशक दवा
मूली की अच्छी पैदावार तथा अच्छी क्वालिटी के सफ़ेद जड़ वाली मुरई प्राप्त करने के लिए खेत को फालतू के खरपतवार से मुक्त रखना बहुत ही जरुरी होता है. मूली के खेत को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए बुआई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन रसायन 100ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करना चाहिए.
यदि खेत में नमी न हो तो छिड़काव करने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. इसके अलावा अगर मुली की खड़ी फसल में खरपतवार लग जाएँ तो हाथ से निकाल देना चाहिए.
कटाई या हार्वेस्टिंग
मूली की बुआई के लगभग 45 से 50 दिन बाद मुरई मंडियों में बेचने के लायक तैयार हो जाते हैं. इनकी जड़ों को हाथ से बहुत ही आसानी से उखाड़कर उन्हें पानी से धोकर मंडी तक ले जाया जाता है. मूली को खेत से उखाड़ने से पहले हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए.
ऐसा करने से जड़ें टूटने से बाच जाती हैं. यदि सब्जी मंडी आपके गाँव से नजदीक है तो इन्हें सुबह उखाड़कर धोएं और यदि मंडी गाँव से दूर शहर है तो शाम के समय ही खेत से उपारकर अच्छी तरह धोकर मंडी लेकर जाना चाहिए.
मूली की मार्केटिंग
खेत से मुली को उखाड़ने के बाद साफ़ पानी से धुलाई करते समय पीली और ख़राब पत्तियों को निकाल देना चाहिए साथ ही ऐसे मूली जिनकी जड़ें उखाड़ते समय टूट गई हैं उन्हें भी निकाल देना चाहिए. इसके बाद जूट की बोरियों की झिल्ली बनाकर उसमे मूली को अच्छी तरह बाँधकर तथा ऊपर से पानी डालकर सब्जी मंडी में ले जाना चाहिए. इस तरह से मूली की मार्केटिंग करने से जड़ें ताजी रहती हैं. और इनके दाम अच्छे मिलते हैं. जिससे मूली की खेती से कमाई बहुत अच्छी होती है.
मूली के पत्ती खाने वाले कीड़े
इनके प्रकोप से मूली की सारी पत्तियां देखते ही देखते छल्ली-छल्ली हो जाती हैं. ये बहुत छोटे आकर के काले एवं भूरे रंग के होते हैं. मूली की फसल को इनके प्रकोप से बचाने के लिए रोगार 20ml प्रति 15 लिटर पानी तथा एसिटाल 20ग्राम प्रति 15 लिटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
मूली में गलन रोग
मूली की खेती में गलन रोग अधिक नमी का कारण होता है इसलिए इसका असर बारिश के दिनों में अधिक देखने को मिलता है. फसल को इनसे बचाने के लिए ढलानदार खेतों का चयन करना चाहिए. यानि खेत ऐसा हो की बारिश होने के तुरन बाद सारा जल खेत से बहन निकल जाय और खेत में पानी इकठ्ठा न रहे.
प्रश्न: मूली को किस प्रकार की मिट्टी में लगाना चाहिए?
उत्तर: वैसे तो मूली की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है, लेकिन रेतीले दोमट और भुरभुरी मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होता है.
प्रश्न: मूली की फसल कितने दिन की होती है?
उत्तर: मूली बहुत ही जल्दी तैयार होने वाली सब्जी है. या बुआई के 40 से 45 दिन में ही मार्केटिंग के लायक तैयार हो जाती है.
प्रश्न: मूली में कौन सी खाद डालनी चाहिए?
उत्तर: 1 ट्राली गोबर की खाद या मुर्गियों की खाद, 100kg यूरिया, 60 किलो DAP तथा 40kg पोटाश प्रति एकड़ देना चाहिए.
प्रश्न: मूली के बीज को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
उत्तर: रैडिश सीड्स [Radish seeds]