उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पिछले 102 घंटे से 40 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे एक निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल धंसने से हुआ था। मजदूरों को बचाने के लिए पिछले पांच दिनों से कई प्रयास किए गए। रेस्क्यू टीम ने 14 नवंबर को स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने की प्रोसेस शुरू की। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद से 35 इंच के डायमीटर का स्टील पाइप टनल के अंदर डालने की कोशिश की गई। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिली।
इसके बाद 15 नवंबर को सेना की मदद से हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से हैवी ऑगर मशीन मंगाई गई। गुरुवार को अमेरिकन ऑगर्स मशीन को इंस्टाल कर रेस्क्यू शुरु किया गया। NHIDCL के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया, 25 टन की हैवी ड्रिलिंग मशीन प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक ड्रिल करती है। अनुमान के मुताबिक, मलबे को पूरी तरह से ड्रिल करने में 10 से 12 घंटे लग सकते हैं। हालांकि यह अंदर की परिस्थितियों पर भी डिपेंड करेगा। फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।
नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे काम कर रहे हैं। थाईलैंड, नार्वे फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है।
थाईलैंड से क्यों ली जा रही मदद
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए थाईलैंड के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है। इसको लेकर खलखो ने बताया, 2018 में थाईलैंड में एक जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम के 12 मेंबर्स और उनके कोच प्रैक्टिस सेशन के बाद थाईलैंड की गुफा लुआंग नांग नॉन घूमने गए थे। तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और गुफा में बाढ़ आने से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया था। करीब 18 दिनों तक ये फुटबॉल टीम गुफा के अंदर फंसी रही थी। थाईलैंड के एक्सपर्ट ने उनको सफलतापूर्वक बचा लिया था। ऐसे में टीम उत्तरकाशी घटना में उनसे सलाह ले रही है। हालांकि खलखो ने कहा- थाईलैंड के एक्सपर्ट भारत नहीं आएंगे। वे ऑनलाइन मदद कर रहे हैं।
क्यों लानी पड़ी हैवी ड्रिलिंग मशीन
इंजीनियर और ड्रिलिंग एक्सपर्ट आदेश जैन ने बताया- 14 नवंबर तक 6 बार मलबा धसक चुका है और इसका दायरा 70 मीटर तक बढ़ चुका है। पहले जो ड्रिलिंग मशीन लगी थी, केवल 45 मीटर तक ही काम कर सकती है, इसलिए बड़ी मशीन लाई गई है। टनल में फंसे सभी लोग 101% सुरक्षित हैं। गुरुवार शाम या रात तक सभी को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।
रेस्क्यू में देरी से नाराज मजदूरों की पुलिस से झड़प
इधर, 15 नवंबर की सुबह टनल के बाहर कुछ मजदूरों की पुलिस से झड़प हो गई। ये रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी से नाराज हैं। इनकी मांग थी कि प्रशासन हमें टनल के अंदर जाने दे, हम फंसे हुए अपने साथियों को निकाल लाएंगे। फंसे हुए मजदूरों में सबसे ज्यादा झारखंड के स्टेट डिजाजस्टर मैनेजमेंट के मुताबिक, टनल के अंदर झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल प्रदेश का एक मजदूर शामिल है।
बचाव कार्य देखने पहुंचे CM पुष्कर सिंह धामी ने बताया- सभी मजदूर सुरक्षित हैं, उनसे वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क किया गया है। खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है। फंसे हुए मजदूरों में से एक गब्बर सिंह नेगी के बेटे को मंगलवार को अपने पिता से कुछ सेकेंड के लिए बात करने की अनुमति दी गई। आकाश सिंह नेगी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया- मेरे पिता सुरक्षित हैं। उन्होंने हमसे चिंता नहीं करने को कहा।
प्लास्टर नहीं होने की वजह से टनल का 60 मीटर हिस्सा धंसा
NDRF के असिस्टेंट कमांडर करमवीर सिंह ने बताया- साढ़े 4 किलोमीटर लंबी और 14 मीटर चौड़ी इस टनल के स्टार्टिंग पॉइंट से 200 मीटर तक प्लास्टर किया गया था। उससे आगे कोई प्लास्टर नहीं था, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ।
घटना की जांच के लिए कमेटी बनाई गई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हाईलेवल मीटिंग की। धामी ने बताया- हम रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय की ओर से भी घटना की मॉनिटरिंग की जा रही है। उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी ने आज जांच शुरू भी कर दी है।
चारधाम प्रोजेक्ट का हिस्सा है यह टनल
यह टनल चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। 853.79 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा यह टनल हर मौसम में खुली रहेगी। यानी बर्फबारी के दौरान भी इसमें से लोग आना-जाना कर सकेंगे। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी।
दरअसल, सर्दियों में बर्फबारी के दौरान राड़ी टाप क्षेत्र में यमुनोत्री हाईवे बंद हो जाता है। जिससे यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालयों बड़कोट, पुरोला और मोरी का जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से संपर्क कट जाता है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने और राड़ी टाप में बर्फबारी की समस्या से निजात पाने के लिए यहां ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनी।