नए साल 2024 में भी बनी रहेगी पीली धातु की चमक, जानिए कीमत…

– नए साल में 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है सोना

नई दिल्ली (ईएमएस)। जानकारों का कहना है कि पीली धातु की चमक नए साल 2024 में भी बनी रहेगी। नए साल में सोना 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये की स्थिरता, भूराजनीतिक अनिश्चितता और धीमी वैश्विक आर्थिक वृद्धि के कारण नए साल में भी सोने का आकर्षण कायम रहेगा। फिलहाल जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स में सोना 63,060 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 2,058 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के आसपास है। दिसंबर की शुरुआत में वैश्विक तनाव की वजह से पश्चिम एशिया में सोने के दाम एक बार फिर चढ़ गए। उभरते बाजार के कारोबारियों का अनुमान है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी का चक्र कमोबेश समाप्त हो चुका है। हालांकि ‎पिछले साल सोने की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव रहा। घरेलू बाजार में चार मई को पीली धातु का भाव 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक नए उच्चस्तर पर पहुंच गया। वैश्विक बाजारों में यह 2,083 डॉलर प्रति औंस की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। 

बाद में 16 नवंबर को सोना 61,914 रुपये प्रति 10 ग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया। बाजार के जानकारों का कहना है ‎कि निवेश के सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने का आकर्षण बरकरार है। यही वजह है कि इस साल चार दिसंबर को सोने का भाव 64,063 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। वैश्विक बाजार में यह 2,140 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। हमें उम्मीद है कि 2024 में अंतत: यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2,400 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच जाएगा। वहीं घरेलू बाजार में सोना 70,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर जा सकता है। उन्होंने कहा कि चुनावी साल में रुपया कमजोर हो सकता है। इससे घरेलू स्तर पर सोने के दाम बढ़ेंगे। वहीं खुदरा आभूषण खरीदारी को भारत और चीन में उच्च घरेलू कीमतों से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। 

यदि मौजूदा रफ्तार जारी रहती है, तो केंद्रीय बैंकों की मांग पिछले साल के रिकॉर्ड से अधिक हो सकती है। सोने का दाम भले ही कुछ समय तक ऊंचा बना रहे, लेकिन मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल, धीमी वैश्विक वृद्धि और आर्थिक अनिश्चितता की वजह से पीली धातु का आकर्षण बना रहेगा। ज्वेलरी कारोबा‎रियों का कहना है ‎कि महत्वपूर्ण बाजारों में मांग घटने की वजह से निर्यातकों के लिए ‎पिछला साल काफी कठिन रहा। हालांकि अब स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। हमें उम्मीद है कि 2024 में चीजें सुधरेंगी।

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