बस्ती : सीता और प्रभु श्रीराम के विवाह की कथा सुन भावविभोर हो गए श्रोता 

बस्ती। नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा दुबौलिया बाजार में आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा   में छठवे दिन कथा व्यास रघुबीर दास जी महाराज ने जगत जननी मां जानकी और प्रभु श्रीराम के विवाह की कथा सुनाकर मौजूद श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

कथा को विस्तार देते हुए कथा व्यास ने कहा कि  विश्वामित्र के आग्रह पर दशरथ श्रीराम को यज्ञ की रक्षा के लिए उनके साथ भेजने के लिये तैयार नहीं हुये ‘‘ राम देत नहीं बनइ गुंसाई। देह प्रान तें प्रिय कछु नाहीं। सोउ मुनि देउॅं निमिष एक माही।। किन्तु जब गुरू वशिष्ठ ने उन्हें समझाया कि सब मंगल होगा राम के जन्माक्षर बता रहे हैं कि इस वर्ष इन चारों कुमारों के विवाह का योग है तो यह सुनकर दशरथ हर्षित हो गये। दशरथ सद्गुरू के अधीन थे और गुरूदेव की आज्ञा को शिरोधार्य किया।

कथा प्रसंगो के क्रम में महात्मा जी ने कहा कि जीवन में सदगुण से ही मिठास आती है। जिसके जीवन में मधुरता नही ईश्वर उसे प्रिय नही है। महादान और द्रव्यदान से भी मान दान श्रेष्ठ है। विश्वामित्र के साथ श्रीराम लक्ष्मण चले। विश्वामित्र के गुणोें की चर्चा करते हुये महात्मा जी ने कहा कि विश्व जिसका मित्र है वही विश्वामित्र है। जगत मित्र बनोगे तो राम, लक्ष्मण तुम्हारे पीछे-पीछे आयेंगे। भगवान कहते हैं जब जीव मेरे दर्शन के लिये आता है तो मैं खड़ा होकर उसे दर्शन देता हूं।

ईश्वर की दृष्टि तो जीव की ओर अखण्ड रूप से है, जीव ही ईश्वर की ओर दृष्टि नहीं करता है। राम जी सभी से प्रेम करते हैं। वे हमेशा धनुष वाण अपने साथ रखते हैं। धनुष ज्ञान का और वाण विवेक का स्वरूप है। ज्ञान और विवेक से सदा सज्जित रहो क्योंकि काम रूपी राक्षस न जाने कब विघ्न करने आ जाये। जिसकी आंखों में पाप है वही राक्षस है। इससे पूर्व  आयोजक बाबूराम सिंह, मुख्य यजमान संजीव सिंह  ने पूजन किया। 

पूर्व विधायक अम्बिका सिंह के साथ ही देवेंद्र श्रीवास्तव ज्ञानेन्द्र पाण्डेय, अभिषेक सूर्यवंशी, अजय सिंह ,जसवंत सिंह, अनूप सिंह ,सुनील सिंह  ,मातिबर सिंह, राम कुमार गुप्ता, नीरज गुप्ता, बिपिन सिंह उर्फ सोनू ,हर्षित नीरज ,राजेश सिंह, संतलाल गुप्ता ,गंगाप्रसाद पाण्डेय, हरिश्चंद्र पाण्डेय,  त्रिभुवन पाण्डेय, आदित्य सिंह ,अनिल सिंह  अरुण  सिंह, दीक्षा सिंह, श्रद्धा सिंह,  सोनू सिंह, शीला सिंह, महिमा सिंह, रागिनी सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।

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