
कानपुर के गुजैनी इलाके में महज़ 17 साल का एक किशोर, जो अपने छोटे से जीवन में सिर्फ इंसानियत दिखा रहा था, दरिंदगी का ऐसा शिकार बना, जिसने इंसानियत पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. यह घटना 25 जून की शाम की है. किशोर अपनी दुकान पर काम कर रहा था, तभी दीपक नाम के युवक का फोन आया, जो उसका जान-पहचान का था. उसने बताया कि उसे घर से निकाल दिया गया है और वो रामगोपाल चौराहे पर अकेला बैठा है. किशोर ने देर किए बिना दुकान बंद की और उसकी मदद के इरादे से वहां पहुंच गया पर उसे क्या पता था कि ये उसका सबसे डरावना और अपमानजनक अनुभव बनने वाला है.
रामगोपाल चौराहे पर दीपक पहले से ही मौजूद था साथ में थे उसके दो साथी शांतनु और डीके. तीनों ने मिलकर किशोर को एक कार में बिठाया और उसे तिकोना पार्क के पास स्थित एक कमरे में ले गए. वहां उन्होंने पहले से प्लान की गई दरिंदगी की पटकथा को अंजाम दिया. किशोर को कमरे में बंद कर बेरहमी से पीटा गया. उसकी जेब में रखे दुकान के 6 हजार रुपये भी छीन लिए गए, लेकिन सबसे शर्मनाक और अमानवीय कृत्य इसके बाद हुआ आरोपियों ने चप्पल पर थूककर जबरदस्ती किशोर से चटवाया और उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया.
गिड़गिड़ाता रहा किशोर
पूरी हैवानियत के दौरान शांतनु नाम के युवक वीडियो रिकॉर्ड करता रहा. 54 सेकंड का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें पीड़ित किशोर गिड़गिड़ाता दिख रहा है, रहम की भीख मांग रहा है, पर किसी को फर्क नहीं पड़ता. उसकी चीखों, आंसुओं और अपीलों को नजरअंदाज कर आरोपी हंसते हुए अत्याचार करते रहे. वीडियो इस घटना के चार दिन बाद इंटरनेट पर सामने आया और यहीं से इस मामले ने तूल पकड़ा.
चुप रहने की मजबूरी
दरिंदगी झेलने के बाद किशोर किसी तरह अपने घर तो पहुंच गया, लेकिन मानसिक रूप से टूट चुका था. आरोपियों ने उसे धमकी दी कि अगर उसने किसी को कुछ बताया, तो यह वीडियो और वायरल कर देंगे. डरे हुए किशोर ने चार दिन तक किसी से कुछ नहीं कहा. उसकी चुप्पी सिस्टम की असफलता को भी उजागर कर रही थी. वीडियो वायरल होने के बाद ही सच्चाई बाहर आई, और तब जाकर पुलिस हरकत में आई.
वीडियो वायरल होने के बाद FIR
वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शनिवार देर रात पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. डीसीपी दक्षिण दीपेन्द्रनाथ चौधरी ने बताया कि किशोर से संपर्क कर केस दर्ज किया गया है और तीनों आरोपियों की तलाश में दो टीमें बनाई गई हैं. मगर बड़ा सवाल यही है — क्या अगर वीडियो सामने न आता, तो ये मामला दबा ही रह जाता? क्या पीड़ित को इंसाफ कभी नहीं मिलता?.