गोरखपुर : गोरखपुर में अपहरण के बाद बच्चे की हत्या से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बीच पुलिस की तफ्तीश में पता चला है कि आरोपी बच्चे को अच्छी तरह जानते थे। एसएसपी के मुताबिक पहचान उजागर होने के डर से अपहरणकर्ताओं ने बलराम की हत्या कर दी। परिजनों से एक करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई थी।
गोरखपुर के एसएसपी डॉ सुनील गुप्ता ने बताया कि किडनैपर ने पैसे के लालच में वारदात को अंजाम दिया। फिर पहचान उजागर होने के डर से मासूम को मौत के घाट उतार दिया। एसएसपी ने कहा, ‘अपहरणकर्ता बलराम के घर के आसपास के ही रहने वाले हैं। उनको डर था कि घर वाले उन्हें पहचान लेंगे। क्राइम ब्रांच टीम का सहयोग लेकर जिन नंबरों से कॉल आई थी उनकी लगातार मॉनिटरिंग करके अभियुक्तों को उठाया गया। दयानंद ने बताया कि बलराम की लाश कहां फेंकी गई है। अजय गुप्ता और दयानंद समेत कुल पांच अपहरणकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। प्रथम दृष्टया देखने पर लगता है कि गले को कसके मारा गया है। बाकी पोस्टमॉर्टम में क्लियर हो जाएगा।’
किडनैपर 15 दिन से कर रहे थे प्लानिंग, स्कूटी से घुमाया
घर के पास रहने वाले आरोपी किडनैपर बच्चे का अपहरण करने के लिए 15 दिनों से प्लानिंग कर रहे थे। अपहरणकर्ताओं ने रिंकू गुप्ता की मदद से फर्जी आईडी पर पहले सिम कार्ड लिया फिर मौके की तलाश में थे। इसी दौरान रविवार को गांव के ही युवक निखिल भारती ने बलराम को स्कूटी से घुमाने के लिए ले गया। निखिल भारती से बलराम की अच्छी पहचान थी इसलिए वह उनके साथ अकसर बाइक पर घूमा करता था।
जंगल के पास दुकान पर ले गए, बेहोशी इंजेक्शन लगाया
इसी दौरान निखिल भारती बलराम को जंगल इलाके के पास स्थित एक दुकान में ले गया। यह दुकान अजय गुप्ता के नाम पर है।अपहरणकर्ताओं ने यहां बलराम को बेहोशी का इंजेक्शन दिया। पुलिस के मुताबिक पहले बेहोशी का इंजेक्शन देकर बलराम के पिता से फिरौती की मांग की गई। इस काम के लिए आरोपी दयानंद ने अपने मोबाइल का इस्तेमाल किया था।
आरोपियों को पुलिस की लगी भनक
पहली कॉल में बलराम के पिता ने फोन नहीं रिसीव किया। दोबारा फिरौती की मांग के लिए आए फोन को बलराम के पिता ने रिसीव किया जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस का कहना है कि अपराधियों को जैसे ही भनक लगी कि पुलिस को उनके बारे में सूचना मिल गई है तो उन्होंने बलराम की हत्या कर शव को खेत में फेंक दिया।