अयोध्या : रामलला पर हुए आतंकी हमले पर कोर्ट ने सुनाया फैसला, 4 को उम्रकैद, एक बरी

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पांच जुलाई 2005 की सुबह करीब सवा नौ बजे आतंकियों ने रामजन्म भूमि परिसर में धमाका किया था। करीब डेढ़ घंटे तक चली मुठभेड़ में पांच आतंकी मार गिराए गए थे। उनकी शिनाख्त नहीं हो सकी थी। प्रयागराज की विशेष कोर्ट अयोध्या हमले हमले में आज मंगलवार को प्रयागराज की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया। नैनी सेंट्रल जेल में हुई सुनवाई में विशेष अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया है। इन आरोपियों पर हमले की साजिश रचने का आरोप था, पिछले काफी समय से वह नैनी जेल में ही बंद थे. इस मामले की सुनवाई स्पेशल जज दिनेश चंद्र कर रहे थे।

कोर्ट ने फैसला सुनते हुए कहा कि चार आतंवादी पूरी तरह से बड़ी घटना में शामिल थे और लश्कर-ए-तैयबा ने हमले को अंजाम दिया था। कोर्ट ने सभी दोषियों पर 20-20 हजार का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि मामले में सभी पक्षों की बहस 11 जून को पूरी हो चुकी थी। जिसके बाद आज (मंगलवार) दोषियों की सजा का ऐलान किया गया।

इस मामले में कुल 63 गवाहों ने अपने बयान दर्ज करवाए थे, जिसमें 14 पुलिसकर्मी थे. बता दें कि आतंकी हमले के साजिशकर्ता अरशद को मौके पर ही मार गिराया गया था. 5 जुलाई 2005 में हुए आतंकी हमले में दो लोग मारे गए थे, तो वहीं कुछ सुरक्षाकर्मी घायल भी हुए थे।

इन्हें मिली उम्रकैद की सजा

डॉ. इरफान

मोहम्मद शकील

मोहम्मद नसीम

फारुक

इनके अलावा मोहम्मद अजीज को बरी कर दिया गया है.

14 साल पहले हुआ था अयोध्या में हमला: 
पांच जुलाई 2005 को मेकशिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला पर फिदायीन हमला करने आए पांच आतंकियों की मुठभेड़ में मौत हो गई थी। जनपद अयोध्या के थाना राम जन्मभूमि में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार हमलावर दो संप्रदायों के बीच शत्रुता बढ़ाकर देश की एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते थे। आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड, एके 47, राकेट लांचर से लैस होकर हमला बोला था। हमलावरों ने सबसे पहले वह जीप ब्लास्ट कर उड़ा दी, जिससे वह आए थे। रामनाम और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि के बीच गूंज रही थी गोलियों की आवाज अयोध्या में रामजन्मभूमि अधिग्रहीत परिसर में जिस समय मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला पर आतंकियों ने हमला किया। वह सुबह का समय था।  उस समय मंदिरों में रामनाम और घंटा-घड़ियाल की ध्वनि गूंज रही थी। अयोध्यावासी संत और नागरिक पूजा-पाठ में व्यस्त थे।

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