आज ही के दिन यानी 19 फरवरी 1630 को पुणे के शिवनेरी में जन्मे महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय राजा छत्रपति शिवाजी. उनकी माता का नाम था जीजाबाई और पिता थे शाहजी भोंसले. उनके पिता के नाम पर एक किस्सा मशहूर है. दरअसल शिवाजी के दादा मालोजीराव भोसल ने सूफी संत शाह शरीफ के सम्मान में अपने बेटों के नाम ‘शाहजी’ और ‘शरीफजी’ रखे थे. शाहजी की संतान थे छत्रपति शिवाजी.
बचपन से ही युद्ध कला में माहिर शिवाजी महाभारत, रामायण और कई वीर योद्धाओं की कहानियां सुनकर ही बड़े हुए थे. शायद इसी का असर था कि शिवाजी ने महज 16 वर्ष की आयु में ही विद्रोह छेड़ दिया था.
शिवाजी की बढ़ती ताकत को देख कर मुगल शासक औरंगजेब तक की रातों की नींद गायब हो गई थी. औरंगजेब ने शिवाजी को रोकने के लिए जय सिंह और दिलीप खान को भेजा था. जिसके बाद शिवाजी ने मुगलों को 24 किले देने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि छत्रपति शिवाजी ने 1674 तक यह सभी किले मुगलों से वापस जीत लिए थे.
भरी सभा में मुगल शासक औरंगजेब को ‘विश्वासघाती’ कहा था शिवाजी ने
छत्रपति शिवाजी ने एक बार मुगल दरबार में सम्राट औरंगजेब को ‘विश्वासघाती’ कह दिया था. जिससे नाराज औरंगजेब ने शिवाजी को जयपुर भवन (आगरा) में कैद कर दिया. लेकिन मुगलों की कैद में वह ताकत कहां थी की वीर शिवाजी को बंदी बना सके. 13 अगस्त 1666 ई को शिवाजी मुगलों की कैद से भाग निकले और रायगढ़ पहुंच गए.
मुस्लिम विरोधी नहीं थे छत्रपति शिवाजी
छत्रपति शिवाजी को लेकर भारत में खासकर महाराष्ट्र में बहुत राजनीति होती है. ऐसे में कई बार तो शिवाजी को मुस्लिम विरोधी के तौर पर पेश किया जाता है. लेकिन छत्रपति शिवाजी की नीतियों और नियुक्तियों में साफ देखने को मिलता है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे. उनकी सेना में धर्म कोई मानदंड नहीं था. उनकी सेना में हर जाति और धर्म के लोग थे. साथ ही उनकी सेना में मुसलमानों को भी शीर्ष स्थान मिला था.
शिवाजी ने अपने सैनिकों को निर्देश दे रखे थे कि सैन्य कार्रवाईयों के दौरान किसी भी मुस्लिम महिला या बच्चे के साथ दुर्व्यवहार न करें. साथ ही किसी को कुरान मिले तो उसे सम्मान के साथ मुसलमानों को सौंप दिया जाए.
भारतीय नौसेना के जनक थे शिवाजी
छापामार शैली के महानायक शिवाजी ने एक तरह से नौसेना की भी शुरुआत की थी. वो अपनी सैन्य टुकड़ी में नावों को भी ले जाते थे. जिसका समय पड़ने पर उपयोग किया जाता था. गुरिल्ला युद्ध कला का भी प्रचलन शिवाजी ने बखूबी किया. मुगलों को नाकों चने चबवाने वाले छत्रपति शिवाजी का बीमारी के कारण 3 अप्रैल 1680 में निधन हो गया.
शिवाजी के विचार
- यदि अगर मनुष्य के पास आत्मबल है तो वो पूरे संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
- अंगूर को जब तक ठीक से न पेरो तब तक वो मीठी मदिरा नहीं बनाता, वैसे ही व्यक्ति जब तक दुख में नहीं पिसता, तब तक उसके अंदर की सर्वोत्तम प्रतिभा बाहर नहीं आती।
- हमेशा अच्छे दिन की आशा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।
- अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
- प्रतिशोध मनुष्य को जलाता है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का उपाय होता है।
- कोई भी काम करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना सही होता है, क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है।
- स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई को है।
- छोटे लक्ष्य पर एक छोटा कदम, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करवा देता है।
- जरूरी नहीं कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता हो, वीरता तो विजय में है।
- जब हौसले बुलंद हों तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
- शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नहीं चाहिए।
- जब लक्ष्य जीत का हो तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य, क्यों न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।
- सर्वप्रथम राष्ट्र फिर गुरु फिर माता-पिता फिर परमेश्वर, अत: पहले खुद को नहीं राष्ट्र को देखना चाहिए।
- उत्साह मनुष्य की ताकत, संयम और अड़िगता होती है। सब का कल्याण मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए, तभी कीर्ति उसका फल होगा।