कोरोना से दिल्‍ली का बुरा हाल, 1 जून से 3 जून के बीच राजधानी में 44 मौतें

देश की राजधानी में पिछले कुछ दिन से चीन के वुहान जैसा ट्रेंड है। चाहे कोरोना वायरस केसेज की बात हो या कोविड-19 से मरने वाले मरीजों की, दिल्‍ली देश में तीसरे नंबर पर पहुंच गई है। यहां के हालात कितने भयावक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि 1 जून से 3 जून के बीच, तीन दिन में 44 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 जून को 9 मरीज, 2 जून को 10 मरीज और 3 जून को 25 मरीजों ने दम तोड़ा। अब दिल्‍ली में मरने वालों की संख्‍या 708 हो गई है। दिल्‍ली में 27 मई तक मौतों का आंकड़ा 303 था। यानी पिछले 10 दिन में 400 से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई है।

दिल्‍ली में केसेज तमिलनाडु से कम, मौतें ज्‍यादा
शुक्रवार को राष्‍ट्रीय राजधानी से 1,330 नए मामले सामने आए। अब दिल्‍ली में कोरोना वायरस के कुल 26,334 कन्‍फर्म मामले हो गए हैं। महाराष्‍ट्र (80,229) और तमिलनाडु (28,694) के बाद सबसे ज्‍यादा कोरोना केस दिल्‍ली में ही हैं। मरने वालों की संख्‍या देखें तो भी महाराष्‍ट्र (2,849) और गुजरात (1,190) के बाद दिल्‍ली (708) का ही नंबर आता है। तमिलनाडु में देश के दूसरे सबसे ज्‍यादा मामले हैं मगर वहां की मृत्‍यु-दर कम है। दक्षिणी राज्‍य में अबतक कोरोना से 232 लोगों की मौत हुई है।

पिछले कुछ दिन में कैसे बिगड़ते गए हालात
दिल्‍ली के डॉक्‍टर्स का कहना है कि यहां के हालात पिछले कुछ दिन में ही बिगड़े हैं। मैक्‍स साकेत के डॉ. रॉमेल टिक्‍कू ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के लक्षणों के साथ अस्‍पताल आने वाले मरीजों की संख्‍या बढ़ी है। उनमें पॉजिटिविटी रेट भी बहुत ज्‍यादा है। कोविड अस्‍पताल में तैनात एक अन्‍य डॉक्‍टर ने कहा कि ‘मामले बढ़ रहे हैं जो दिखाता है कि बीमारी का ट्रांसमिशन और तेज रफ्तार से मल्‍टीपल क्‍लस्‍टर्स में हो रहा है।’ हालांकि इस डॉक्‍टर ने कहा कि अधिकतर मरीज एसिम्‍प्‍टोमेटिक हैं या हल्के लक्षण वाले हैं जिन्‍हें भर्ती करने की जरूरत नहीं है।

बेहद कम मरीज अस्‍पतालों में भर्ती
लेटेस्‍ट सरकारी डेटा के मुताबिक, दिल्‍ली में कोविड-19 के 15,311 ऐक्टिव केस हैं। इनमें से केवल 3,899 (25%) अस्‍पतालों में भर्ती हैं। कुल 2 पर्सेंट मरीज ऐसे है जिन्‍हें इन्‍टेंसिव केयर यूनिट (ICU) या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। डॉक्‍टर्स के मुताबिक, ‘गंभीर लक्षण अधिकतर बुजुर्ग मरीजों में दिख रहे हैं जिन्‍हें पहले से ही कई और बीमारियां हैं। उन्‍हें परेशानी होने की ज्‍यादा संभावना है और उनके बीच मृत्‍यु-दर भी अधिक है।’

टेस्टिंग फैसिलिटीज पर्याप्‍त नहीं?
दिल्‍ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) की कोविड टास्‍क फोर्स के कोऑर्डिनेटर डॉ हरीश गुप्‍ता कहते हैं कि उन लोगों के सामने टेस्टिंग फैसिलिटीज की कमी एक समस्‍या है। डॉ गुप्‍ता ने कहा कि ‘बहुत सारी लैब्‍स प्रिस्क्रिप्‍शन होने के बावजूद टेस्‍ट से मना कर रही हैं।’ दिल्‍ली सरकार कई लैब्‍स के खिलाफ ऐसी शिकायतों की जांच भी कर रही है। कुछ डॉक्‍टर्स को लगता है कि कोविड मरीजों के डायरेक्‍ट कॉन्‍टैक्‍ट्स की टेस्टिंग अहम है।

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