
भास्कर समाचार सेवा
नजीबाबाद।जिलाधिकारी ने सड़क दुर्घटना में मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिए हैलमेट का आविष्कार तथा चीनी मिल की राख को ऊर्जा में परिवर्तित करने के आविष्कार के लिए युवा वैज्ञानिक एवं शोधकर्ता रोबिन नील को अपने कार्यालय कक्ष मेंं सम्मानित किया।
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने कलैक्ट्रेट परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में नजीबाबाद के मौहल्ला जाब्तागंज निवासी युवा वैज्ञानिक रोबिन नील को सम्मानित किया। उन्होंने रोबिन नील को अंबेडकर इनोवेशन फाउंडेशन की ओर से दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में डेढ़ लाख रुपए, रजत पदक तथा प्रशस्ति पत्र प्राप्त करने पर उनके आविष्कारो की प्रशंसा करते हुए स्वागत किया। डीएम ने अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी की। इस अवसर पर युवा वैज्ञानिक राबिन नील ने जिलाधिकारी को जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने माइक्रोबायोलाजी से स्नातक की परीक्षा पास की है। उनकी शुरू से ही विज्ञान के क्षेत्र में नई खोज एवं अनुसंधान में रुचि रही है। इसी लगन के चलते उन्होंने एक ऐसा हैलमेट आविष्कार किया है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर में कमी आ सकेगी। इस हैलमेट के इलैक्ट्रानिक यंत्र को बाइक में एक डिवाइस लगाकर अटैच किया जाता है और डिवाइस बाइक से अटैच होने के बाद हैलमेट न पहनने तक स्टार्ट नहीं होगी। इसी के साथ ही अत्यधिक नशे युक्त व्यक्ति भी अपनी बाइक को स्टार्ट करने में असमर्थ होगा, जिसके कारण सड़क दुर्घटना की कोई संभावना नहीं रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इसके अलावा यह डिवाइस बाइक चोरी रोकने में भी सहायक सिद्ध होगी। रोबिन नील ने अपने अविष्कार ध्वनि तरंगों से बिजली उत्पादन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने ध्वनि तरंगों से विद्युत उत्पन्न करने वाली डिवाइस तैयार की है, जिसका उन्होंने एक अस्पताल में सफल प्रदर्शन भी किया। साउंड कैचर से धमनी की हाई-फ्रिकवेंसी के जरिए रिले के माध्यम से डिवाइस को सिग्नल प्राप्त होता है। उनका कहना है कि साउंड कैचर लो फ्रिकवेंसी को 12 हर्ट्ज से 50 हर्ट्ज तक करने की क्षमता उक्त डिवाइस में पायी जाती है, जिसको और अधिक बढ़ाया भी जा सकता है। ट्रैफिक सिग्नल और फ्लाईओवर पर पथ प्रकाश से जुड़ी लाइटों को बिजली उत्पादन कराने में डिवाइस सहायक साबित होगी। इसके अलावा उन्होंने मिल से निकलने वाली राख को भी इंधन के विकल्प के रूप में परिवर्तित करने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि नोएडा की डेंसो इंडिया लैब में काली राख को ईंधन के रूप में परिवर्तन कर उसे वैकल्पिक ऊर्जा का स्रोत विकसित करने का प्रोजेक्ट तैयार किया है। चीनी मिल से निकलने वाली राख पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है, परंतु इस राख को केमिकल की मदद से ठोस पदार्थ में बदल कर एनर्जी के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।