लखनऊ गोलीकांड : विवेक तिवारी हत्याकांड में पुलिस का गंदा खेल उजागर, जानिए आप भी 

eye witness statement creates problem for police in vivek tiwari murder case.

विवेक तिवारी हत्याकांड की एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी और उसकी पूर्व सहकर्मी बार-बार अपने बयान बदल रही है। उसके बयानों के आधार पर पुलिस कोई निष्कर्ष निकालने की कोशिश करती, इससे पहले ही दूसरा बयान सामने आ जाता है। इससे साफ है कि वह कन्फ्यूज है या डरी हुई हैं। या फिर कोई उस पर बयान बदलने का दबाव डाल रहा है। दो दिन पहले उसने पुलिस से डर लगने की बात कही थी।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि पूर्व सहकर्मी को उसके घर पर ही महिला सिपाहियों की नजरबंदी में रखा गया है। अधिकारी घंटों उसकी काउंसलिंग कर रहे हैं। हो सकता है कि उस पर केस से हटने या उल्टे-सीधे बयान देने का दबाव डाला जा रहा हो। इस मामले में पुलिस की आरोपियों के प्रति नरमी और उन्हें बचाने के लिए कई तरह की साजिशों का खुलासा पहले ही हो चुका है। (क्राइम सीन पर चश्मदीद और पुलिसकर्मी।)

विवेक हत्याकांड

पहले कहा- चल रही थी कार, रीक्रिएशन में बोली, सड़क किनारे खड़ी थी
पूर्व सहकर्मी ने रीक्रिएशन के दौरान कार के सड़क किनारे खड़ी होने की बात कही। यह बयान पहले दिए गए बयानों से अलग था। वारदात के बाद उसने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि विवेक उसे कार से घर छोड़ने जा रहा था, तभी घटना हुई। उस वक्त उसने कार के काफी धीमी गति से चलने की बात कही थी।

.. तो एक्सीडेंट हुआ न ही कुचलने का प्रयास किया गया
विवेक की पूर्व सहकर्मी ने एसआईटी के अधिकारियों को घटना के बारे में जो जानकारियां दीं, उसमें कार के बाइक में टक्कर मारने और सिपाहियों को कुचलने के प्रयास की बात सामने नहीं आई। पूर्व सहकर्मी का कहना था कि कार खड़ी थी और बाइक सामने से आकर रुक गई। इसके बाद एक सिपाही उसकी तरफ व दूसरा विवेक की तरफ खिड़की पर आ गया। सिपाहियों ने गाली-गलौज की। विवेक ने विरोध किया तो वह भड़क गए और सामने जाकर गोली चला दी। इससे साफ है कि पुलिस के अधिकारी शुरुआत से ही सिपाहियों की बाइक को टक्कर मारने और उन्हें कुचलने की फर्जी कहानी गढ़ रहे थे।

तहरीर में खेल करने की भी खुली पोल
हत्याकांड की एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी ने एफआईआर में लिखाया था कि उसने गोली चलने जैसी आवाज सुनी। यानी, उसने किसी को गोली चलाते नहीं देखा था। सिर्फ एक आवाज सुनी थी जिसे उसने फायर माना। गोली का अंदाजा उसे तब हुआ, जब मौके से भागे विवेक की कार कुछ दूर अंडरपास के खंभे से टकराकर रुकी। पूर्व सहकर्मी ने खून देखा तब उन्हें अहसास हुआ कि विवेक को गोली लगी है।

हालांकि, मंगलवार को रीक्रिएशन के दौरान उन्होंने सिपाही के सीधे कार के सामने खड़े होकर गोली मारने की जानकारी दी। इससे स्पष्ट है कि पूर्व सहकर्मी ने जो एफआईआर लिखाई थी, वह पुलिस अधिकारियों का खेल था। उस वक्त उसने कागज पर जो भी लिखा था, अधिकारियों के कहने पर लिखा था।

विवेक हत्याकांड

पिस्टल दोनों हाथों से पकड़ी थी या एक हाथ कलाई पर था
पूर्व सहकर्मी ने कहा था कि सिपाही ने दोनों हाथों से पिस्टल पकड़कर गोली चलाई थी। क्राइम सीन के रीक्रिएशन में भी सिपाही को इसी तरह से पिस्टल पकड़ने को कहा गया था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं था कि पिस्टल को दोनों हाथों से पकड़ना था या एक हाथ से पिस्टल पकड़कर दूसरे हाथ से कलाई पकड़नी थी। हो सकता है कि इससे फायर का एंगल बदल जाता। पोस्टमार्टम के विशेषज्ञों का कहना था कि विवेक को लगी गोली ऊपर से नीचे की तरफ आई है। अगर दोनों हाथों से कार के सामने खडे़ होकर गोली चलाई गई तो ऊपर से नीचे का एंगल आना मुश्किल है।

विवेक हत्याकांड

अब तक कह रही थी गोली विंड स्क्रीन से सटाकर मारी
अब तक पूर्व सहकर्मी कह रही थी कि सिपाही ने गोली कार की विंड स्क्रीन से सटाकर मारी थी। हालांकि, मंगलवार को क्राइम सीन के रीक्रिएशन के दौरान वह अपनी ही बात से पलट गई। उसने कार से सिपाही की पोजीशन करीब 10 फीट दूर बताई।

बाइक सवार सिपाही पीछे से आए या सामने से की एंट्री
पूर्व सहकर्मी अब तक सिपाहियों की बाइक पीछे से आने की बात कह रही थी। कहा था कि सिपाही पीछे से आए और ड्राइविंग सीट की तरफ कार के पहिये के ठीक सामने अपनी बाइक खड़ी कर दी। उन्होंने ऐसा इस तरह किया कि कार आगे न बढ़ सके। हालांकि, क्राइम सीन के रीक्रिएशन के दौरान उन्होंने सिपाहियों की बाइक सामने की दिशा से आने की बात कही। इसके बाद बाइक भी कार से करीब चार फीट आगे खड़ी कराई। बाइक की हेडलाइट उसी दिशा में थी, जहां से वह आई थी। यही नहीं पूर्व सहकर्मी ने डिवाइडर या ऊंचाई से गोली मारने वाली बात भी बदल दी। उसने कहा था कि बाइक में टक्कर लगने के बाद विवेक अपनी कार पीछे करके आगे निकले तो कार के दायीं तरफ खड़ा सिपाही उछलकर डिवाइडर पर चढ़ गया। उसने वहीं खडे़ होकर फायर कर दिया। उनकी यह बात पोस्टमार्टम विशेषज्ञों के ऊंचाई से गोली मारे जाने की बात को पुष्ट कर रही थी।

गोली लगने के बाद 400 मीटर तक कैसे कार चलाई, पता लगाने की कोशिश नहीं
क्राइम सीन के रीक्रिएशन में एसआईटी उस जगह को भूल गई, जहां विवेक की कार टकराकर रुकी थी। सिर्फ घटनास्थल पर कार और बाइक की पोजीशन, गोली चलाने वाले सिपाही की दूरी, पिस्टल की कार से दूरी व ऊंचाई के बारे में ही अध्ययन किया। उक्त स्थान पर ठोड़ी से घुसकर गोली के गले में फंसने और खून निकलने के बावजूद विवेक दो मोड़ मुड़कर करीब 400 मीटर दूर कैसे पहुंचे? यह जानने की एसआईटी ने कोशिश नहीं की। विवेक की पूर्व सहकर्मी को गोली मारने वाली जगह से ही घर भेज दिया गया। आगे सिर्फ एसआईटी प्रभारी, आईजी रेंज सुजीत पांडेय और अन्य पुलिस अधिकारी के अलावा विवेक के चचिया ससुर ही गए, वह भी कार के बगैर। करीब 10 मिनट घटनास्थल देखने के बाद सभी लौट गए।

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